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इस साल वट सावित्री व्रत 19 मई को है. इस व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है, इसलिए इसे बरगदही अमावस्या भी कहा जाता है. वट सावित्री व्रत पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है. यह व्रत उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या को रखा जाता है, जबकि दक्षिण भारत में पूर्णिमा के दिन वट सावित्री व्रत किया जाता है. आइये जानते हैं वट सावित्री व्रत की पूजा सामग्री के बारे में.
वट सावित्री व्रत 2023 पूजा सामग्री
बरगद के पेड़ का फल
सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा या तस्वीर
भीगे हुए काले चने
कलावा या रक्षासूत्र या सफेद कच्चा धागा
सवा मीटर कपड़ा, बांस का पंखा
लाल और पीले फूल
मिठाई, बताशा, मौसमी फल
मिट्टी का दीपक, धूप, दीप, अगरबत्ती
सिंदूर, अक्षत, रोली, सवा मीटर कपड़ा
पान का पत्ता, सुपारी, नारियल
श्रृंगार सामग्री
जल कलश, पकवान, पूड़ी आदि.
स्टील या पीतल की प्लेट
वट सावित्री व्रत कथा ग्रंथ
वट सावित्री व्रत और पूजा विधि
19 मई को सुबह स्नान करके लाल, पीली या हरी साड़ी पहन लें और सोलह श्रृंगार कर अच्छे से तैयार हो जाएं. फिर पूजा सामग्री को एक थाली में सजा कर रख दें. उसके बाद शुभ मुहूर्त में पास के बरगद के पेड़ के पास जाएं.
वहां सावित्री और सत्यवान की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. जो दुल्हनें पहली बार व्रत कर रही हैं उन्हें वर और वधू का जोड़ा कपड़े या मिट्टी से बना कर रखना चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए. सावित्री और सत्यवान का अक्षत, रक्षासूत्र, फल, फूल, पान, सुपारी, मिठाई, रोली, भीगे हुए चने, धूप, दीप आदि से विधिपूर्वक पूजन करें. इसके बाद पंखे से हवा करें.
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Apurva Srivastav
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