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![कैसे करें बृहस्पतिवार व्रत की शुरुआत, जानिए पूजा विधि कैसे करें बृहस्पतिवार व्रत की शुरुआत, जानिए पूजा विधि](https://jantaserishta.com/h-upload/2022/04/21/1598838-33.webp)
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होता है। इसी तरह गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और गुरु बृहस्पति देव को समर्पित है। गुरु बृहस्पति भगवान विष्णु के ही स्वरूप माने जाते हैं। इस दिन विधि-विधान से बृहस्पति देव की पूजा करने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर कुंडली में बृहस्पति की स्थिति खराब है तो आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं, विवाह में रुकावट आना या फिर आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए बृहस्पति देव की स्थिति को ठीक करने के लिए गुरुवार का व्रत रखना शुभ माना जाता है। जानिए किस तरह रखें गुरुवार का व्रत और पूजा विधि।
कब से शुरू करना चाहिए बृहस्पति देव का व्रत
शास्त्रों के अनुसार, किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से व्रत रखा जा सकता है। इसके साथ ही अगर गुरुवार के साथ पुष्य नक्षत्र का संयोग हो तो उस दिन भी व्रत शुरू कर सकते हैं। इसके बाद आप अपनी श्रद्धा के अनुसार 5, 7, 11, 16 या फिर साल के हिसाब से व्रत रख सकते हैं। व्रत पूरे होने के बाद पारण जरूर करें।
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें और पीले रंग के सूखे कपड़े पहन लें। इसके बाद भगवान बृहस्पति का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान बृहस्पति की पूजा विधि-विधान से करें। इसके साथ ही केले की पूजा करने का विधान है। माना जाता है कि केले में बृहस्पति देव का वास है। इसलिए इस दिन जल अर्पण करना चाहिए। वहीं बृहस्पति देवी की पूजा में पीले फूल, हल्दी, पीले चावल, मुनक्का, गुड़, चने की दाल आदि आदि का भोग लगाएं और घी का दीपक, धूप जला लें। इसके बाद श्रद्धा के साथ बृहस्पतिवार देव की व्रत कथा का पाठ करें। इस दिन पूरे बिना अनाज खाएं व्रत रखें और शाम के समय पीले चीजों का सेवन कर लें। लेकिन केले का सेवन नहीं करना चाहिए। भोजन करने से पहले भगवान को स्मरण करते हुए गुड़ और चने की दाल को प्रसाद के रूप में खाएं।