- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- कैसे करें बजरंग बाण का...
x
बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में जाना जाता है, जो भक्तों के सभी दुखों को हर कर उन्हें सभी प्रकार के भय और डर से मुक्त करते हैं। व्यक्ति अपने भयों से मुक्ति पाने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ तो करते ही हैं, साथ ही साथ यदि बजरंग बाण का पाठ करें, तो इससे भी आपको अचूक लाभ मिल सकता है। इस लेख के जरिये हम आपको बजरंग बाण से जुड़े सभी महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। बजरंग बाण का किस प्रकार से पाठ करना चाहिए, ये जानना बेहद आवश्यक है। इसके अलावा इसका जाप कर आप किन समस्याओं से निपट सकते हैं, इस बारे में भी हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं।
बजरंग बाण
" दोहा "
"निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।"
"तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥"
"चौपाई"
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।
बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।
अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।।
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।
जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।
ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिंं मारु बज्र की कीले।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।
ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।
वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।
जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।
चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।
ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।
ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।।
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।
"दोहा"
" प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान। "
" तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।। "
इस प्रकार से करें बजरंग बाण का पाठ
बजरंग बाण को हनुमान जी की आराधना कर उनका आशीर्वाद पाने का सबसे अचूक उपाय माना जाता है। चूँकि बजरंग बली प्रभु श्री राम के परम् भक्त हैं, इसलिए बजरंग बाण में मुख्य रूप से भगवान् राम की भी सौगंध दी गयी है। ऐसी मान्यता है कि जब भी आप श्री राम का सौगंध लेंगें, तो हनुमान जी आपकी मदद के लिए ज़रूर अग्रसर होंगें। उपरोक्त बजरंग बाण में श्री राम की सौगंध इस निम्न पंक्तियों में दिलाई गयी है।
भूत प्रेत पिशाच निसाचर।अगिन बेताल काल मारी मर
इन्हें मारु,तोहिं सपथ राम की।राखु नाथ मर्याद नाम की।
जनक सुता हरि दास कहावौ।ताकी सपथ विलम्ब न लावौ।
उठु उठु चलु तोहिं राम दोहाई।पाँय परौं कर जोरि मनाई।।
बजरंग बाण का पाठ करने के लिए सबसे पहले गणेश जी की आराधना करें। इसके बाद श्री राम और सीता जी का ध्यान करें। अब हनुमान जी का मनन करते हुए उनसे अपनी मनोकामना पूरी करने की बात कहें। इसके बाद बजरंग बाण के पाठ का संकल्प लें। बजरंग बाण पाठ के बाद भगवान् श्री राम का कीर्तन करें और फिर हनुमान चालीसा का पाठ करें। बजरंग बाण पाठ के लिए निम्न नियमों का करें पालन:
बजरंग बाण पाठ के लिए सबसे पहले सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान ध्यान से निवृत होकर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें।
कुश से बने आसन पर बैठकर बजरंग बाण का पाठ करें और पाठ से पहले संकल्प लें।
धूप, दीप और फूल चढ़ाते हुए पहले हनुमान जी की पूजा अर्चना करें।
आपने जितनी बार बजरंग बाण पाठ का संकल्प लिया है, उतनी बार उसका रुद्राक्ष की माला से पाठ करें या फिर बिना माला के गिनती याद रखते हुए जाप कर सकते हैं।
बजरंग बाण पाठ के दौरान इस बात का ख़ास ख्याल रखें कि आप सभी शब्दों का उच्चारण सही कर रहे हों।
इस दौरान हनुमान जी को प्रसाद के रूप में चूरमा, लड्डू और अन्य मौसमी फल चढ़ा सकते हैं।
Tagsवास्तु दोषवास्तु दोष के उपायवास्तु दोष निवारण के उपायवास्तु शास्त्रवास्तु शास्त्र का ज्ञानवास्तु के नियमवास्तु टिप्सकुछ महत्वपूर्ण वास्तु नियमसनातन धर्महिंदू धर्मभारतीय ज्योतिष शास्त्रज्योतिष शास्त्रVastu DoshaVastu Dosha RemediesVastu ShastraKnowledge of Vastu ShastraRules of VastuVastu TipsSome Important Vastu RulesSanatan DharmaHinduismIndian AstrologyJyotish Shastraजनता से रिश्ताजनता से रिश्ता न्यूज़लेटेस्ट न्यूज़न्यूज़ वेबडेस्कआज की बड़ी खबरRelationship with publicrelationship with public newslatest newsnews webdesktoday's big news
Apurva Srivastav
Next Story