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काल सर्प दोष : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के जन्म चक्र में राहु और केतु की स्थिति एक दूसरे के आमने सामने होती है। लेकिन अगर राहु-केतु के एक तरफ सात अन्य ग्रह हों और दूसरी तरफ कोई ग्रह न हो तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प योग बनता है। कुंडली में ग्रहों की इस स्थिति से कालसर्प योग बनता है। . आपको बता दें कि जब किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष बनता है तो कई तरह की परेशानियां उत्पन्न होती हैं। तो जानिये कैसे काल सर्प दोष से निजात पा सकते है।
काल सर्प दोष से छुटकारा पाने के उपाय
जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष पाया जाता है, उससे मुक्ति पाने के लिए सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल में गंगाजल मिलाकर महामृत्युंजय मंत्र का पाठ 108 बार करें। इस तरह से लगातार 7 दिन यह उपाय करें। भगवान शिव को चंदन युक्त धूप अर्पित करता है, तो उस व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
इसके अलावा कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए सोमवार या शिवरात्रि या नागपंचमी के दिन चांदी या सर्प का जोड़ा बनाकर उसे दूध में रखकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इस उपाय को करने से कालसर्प दोष से निवारण मिल जाता है। इसके अलावा शिवलिंग के सामने बैठकर गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय का जाप करने से इस दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इस दोष से मुक्ति पाने के लिए यज्ञोपवीतधारी, सर्प गायत्री का जाप करने वाले ब्राह्मण से मंत्र जाप करवा लाएं। इससे अभिषेक करने से यह दोष दूर होता है।
इस दोष से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को घर में मोर पंख धारण किए भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा को घर में स्थापित करना चाहिए। इसके अलावा भगवान श्रीकृष्ण की रोजाना पूजा की जानी चाहिए। इसके साथ ही ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का नियमित रुप से 108 बार जाप करना चाहिए।