धर्म-अध्यात्म

आज महानवमी पर कैसे करें नवरात्रि हवन...जानें ​पूजा विधि एवं मंत्र

Subhi
14 Oct 2021 3:49 AM GMT
आज महानवमी पर कैसे करें नवरात्रि हवन...जानें ​पूजा विधि एवं मंत्र
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आज शरदीय नवरात्रि 2021 की नवमी तिथि है। इसे महानवमी कहा जाता है। आश्विन शुक्ल अष्टमी को मां सिद्धिदात्री की विधिपूर्वक आराधना की जाती है

आज शरदीय नवरात्रि 2021 की नवमी तिथि है। इसे महानवमी कहा जाता है। आश्विन शुक्ल अष्टमी को मां सिद्धिदात्री की विधिपूर्वक आराधना की जाती है और व्रत रखा जाता है। देश के कई स्थानों पर आज महानवमी के दिन ही नवरात्रि का हवन होता है। नवरात्रि का हवन विजयादशमी को भी किया जाता है। दुर्गा महानवमी के दिन कन्या का पूजन भी होता है। यदि आपके घर पर आज महानवमी के अवसर पर ही नवरात्रि हवन होता है तो आज हम आपको नवरात्रि हवन की सामग्री, मंत्र और हवन की पूरी विधि बता रहे हैं। इसके अनुसार आप महानवमी की हवन कर सकते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में।

महानवमी 2021 हवन साम्रगी
आज दुर्गा महानवमी के हवन के लिए आपको एक गोला या सूखा नारियल, लाल रंग का कपड़ा या कलावा, एक हवन कुंड और सूखी लकड़ियां, जिनमें आम की लकड़ी, तना और पत्ता, अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, चंदन की लकड़ी, बेल, नीम, पीपल का तना और छाल, गूलर की छाल और पलाश शामिल हैं। इनके अतिरिक्त काला तिल, कर्पूर, चावल, गाय का घी, लौंग, लोभान, इलायची, गुग्गल, जौ और शक्कर।
नवरात्रि 2021 हवन विधि
आज दुर्गा नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा करने पश्चात पूजा स्थान पर ही हवन कुड को रखें। अब सभी हवन सामग्री को एक पात्र में अच्छे से मिला लेंं। सूखी लकड़ियों को हवन कुंड में रखकर कर्पूर की मदद से अग्नि प्रज्वलित करें। अपने सिर पर रुमाल या तौलिया रख लें। अब मंत्रोच्चार करते हुए हवन सामग्री की क्रमश: आहुति दें। हवन के मंत्र नीचे दिए गए हैं।
हवन मंत्र
ओम आग्नेय नम: स्वाहा
ओम गणेशाय नम: स्वाहा
ओम गौरियाय नम: स्वाहा
ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा
ओम दुर्गाय नम: स्वाहा
ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा
ओम हनुमते नम: स्वाहा
ओम भैरवाय नम: स्वाहा
ओम कुल देवताय नम: स्वाहा
ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा
ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा
ओम विष्णुवे नम: स्वाहा
ओम शिवाय नम: स्वाहा
ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा
स्वधा नमस्तुति स्वाहा।
ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा।
ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।
ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।
इसके पश्चात सूखे नारियल में लाल वस्त्र या कलावा बाधें। पान, सुपारी, लौंग, बतासा, पूरी, खीर आदि उसके शीर्ष पर स्थापित करें। फिर उसको हवन कुंड में बीचोबीच रखें। अब जो भी हवन सामग्री बची है, उसे इस मंत्र के साथ एक बार में आहुति दें। ओम पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा।
अब अंत में मां दुर्गा को दक्षिणा दें, अपने सामर्थ्य के अनुरुप रुपए आदि वहां रख दें। अंत में मां दुर्गा की आरती और मां महागौरी की आरती करें। इस तरह से दुर्गा अष्टमी और महानवमी का हवन पूर्ण होता है।


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