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अगर आप घर पर हवन करने जा रहे हैं
चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च को हुई लेकिन इसके हर दिन का अलग-अलग मतलब है. 29 और 30 मार्च को अष्टमी और नवमी का पर्व मनाया जाएगा. इन दो दिनों का नवरात्रि में विशेष महत्व होता है. नवरात्रि के दिनों में हवन हर दिन करना चाहिए, लेकिन अष्टमी और नवमी को हवन जरूर करना चाहिए. हवन करते समय उसकी सभी सामग्री जरूर होनी चाहिए और साथ में हवन मंत्र भी जरूर करें इससे मां दुर्गा की विशेष कृपा आपके ऊपर बरसेगी. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि भी घर आती है.
अष्टमी और नवमी पर करें इस विधि से हवन (Chaitra Navratri Havan Vidhi)
.3के समय हवन करने से शुभ फल मिलता है. ऐसी मान्यता है कि हवन से प्रसन्न होकर मां दुर्गा सभी की परेशानियां दूर करती हैं. अगर आप किसी मंदिर में जाकर या किसी पंडित को बुलाकर हवन नहीं कराना चाहते तो खुद भी अपने घर पर हवन कर सकते हैं. इसकी पूजा विधि बहुत आसान होती है. किसी स्वच्छ जगह पर हवन कुंड का निर्माण करना चाहिए. हवन कुंड में आम के पेड़ की लड़की और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें. हवन कुंड में सभी देवी-देवताओं के नाम की आहुति देना चाहिए. इसको लेकर धार्मिक मान्यता है कि कम से कम 108 बार आहुति दी जाती है. इसके बाद हवन मंत्र बोलना जरूरी है और इसकी पूजा सामग्री भी पूरी होनी चाहिए.
हवन सामग्री (Navratri Hawan Samagri List)
अगर आप घर पर हवन करने जा रहे हैं तो इसकी सामग्री की लिस्ट बनवा लेना चाहिए. इसमें धूप, जौ, नारियल, गुग्गुल, मखाना, काजू, किसमिस, छुहारा, मूंगफली, बेलपत्र, शहद, घी, सुगंध, अक्षत लें. अब इन सभी को मिलकर हविष्य बना लें. हवन के दौरान अग्नि में डालने वाली सामग्री को शामिल करना होगा. हवन की सामग्री को हविष्य कहते हैं और इसके लिए अग्नि प्रज्जवलित करने के लिए रूई, आम की लकड़ी, चंदन की लकड़ी, कपूर और माचिस भी रखना जरूरी होता है.
हवन करने का मंत्र (Havan Mantra in Hindi)
हवन करते समय सबसे ॐ आग्नेय नम: स्वाहा बोलते हैं. अग्निकुंड में पादर्थों की आहुति दें. ॐ गणेशाय नम: स्वाहा. नाम से आहुति दें. इसके बाद सभी नवग्रहों के देवाताओं के नाम लेकर अग्नि में आहुति दें. इसके बाद कुल देवता और स्थान देवता की आहुति दें. अब मां दुर्गा के 9 स्वरूपों के नाम से आहुति दें. जैसे ॐ दुर्गाय नम: स्वाहा. ॐ गौरियाय नम: स्वाहा. अब सप्तशती या नर्वाण मंत्र का जाप करने के बाद आहुति दें. पूर्ण आहुति में ‘ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदम् पुर्णात पूण्य मुदच्यते, पुणस्य पूर्णमादाय पूर्णमेल विसिस्यते स्वाहा.’ का जाप करें. अब अपने परिवार समेत आरती करें और हवन संपन्न करें, माता से अपनी जाने-अनजाने में हुई गलतियों की क्षमा मांगे और सबका कल्याण करने की मनोकामना मां से मांगे.
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Apurva Srivastav
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