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बुध ग्रह यानी कि तीन नक्षत्रों अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती का स्वामी।
बुध ग्रह यानी कि तीन नक्षत्रों अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती का स्वामी। एक ऐसा ग्रह जिसे ज्योतिषशास्त्र में शुभ ग्रह माना गया है। हालांकि कुंडली में अगर यह किसी अशुभ प्रभाव देने वाले ग्रह के साथ बैठ जाए तो यह भी अशुभ ही प्रभाव देता है। यानी कि यह जिस ग्रह के साथ कुंडली में बैठता उसका असर इसके ऊपर साफ दिखाई देता है। बुध ग्रह मजबूत हो तो जातक अत्यंत बुद्धिमान होता है। साथ ही उसे प्रत्येक कार्य में सफलता भी मिलती है। लेकिन यह कमजोर हो तो जातकों को तमाम परेशानियों का सामाना भी करना पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बुध के इस स्वभाव का कारण क्या है? अगर नहीं तो यह आर्टिकल आपके बहुत काम का है क्योंकि यहां हम आपको बता रहे हैं कि बुध ग्रह का यह व्यवहार उनके 2 पिता के होने के कारण भी है…
पिता का ऐसा हुआ बुध ग्रह पर प्रभाव
किसी भी पुत्र पर उसके पिता के स्वभाव का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। लेकिन तब क्या हो जब उसके 2 पिता हों, तो ऐसा ही हुआ है बुध ग्रह के साथ। इनके दो पिता हैं चंद्रमा और बृहस्पति। बृहस्पति के प्रभाव के कारण ये बुद्धि के कारक हैं। वहीं चंद्रमा के छल के कारण बुध का संबंध भी छल-कपट से माना गया है।
चंद्रमा ने किया ऐसे छल तब जन्म हुआ बुध का
पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्र देव ने अपने गुरु बृहस्पति की भार्या तारा का अपहरण कर लिया। तब तारा और चंद्र देव के संबंध से बुध का जन्म हुआ। बुध अत्यंत सुंदर और कांतिवान थे। चंद्रमा ने उन्हें अपना पुत्र घोषित किया और उनका जातकर्म संस्कार करना चाहा। तब बृहस्पति ने इसका प्रतिवाद किया। बृहस्पति भी बुध की कांति से प्रभावित थे और उन्हें अपना पुत्र मानने को तैयार थे।
ऐसे हुआ बुध ग्रह का नामकरण संस्कार
ऐसे में जब चंद्र देव और बृहस्पति का विवाद बढ़ गया तब ब्रह्माजी के पूछने पर तारा ने उन्हें बताया कि बुध चंद्र देव का ही पुत्र है। इसके बाद चंद्र देव ने बालक का नामकरण संस्कार किया और उसे बुध नाम दिया गया। चंद्र देव का पुत्र माने जाने के कारण बुध को क्षत्रिय माना जाता है। वहीं अगर उन्हें बृहस्पति का पुत्र माना जाता तो उन्हें ब्राह्मण माना जाता।
इसलिए बुध कहलाते हैं रौहिणेय
चंद्र देव ने बुध के लालन-पालन का कार्य अपनी प्रिय पत्नी रोहिणी को सौंपा इसलिए बुध को 'रौहिणेय' भी कहते हैं। बुध चंद्र देव के पुत्र थे और बृहस्पति ने भी उन्हें पुत्र स्वरूप स्वीकार किया था। यही वजह है कि उनमें चंद्र देव और बृहस्पति दोनों के गुण शामिल हैं। जहां बृहस्पति देव के प्रभाव के कारण ये बुद्धि के कारक हैं वहीं चंद्र देव के छल से तारा का अपहरण करने के कारण इनका संबंध भी छल-कपट से माना गया है। कहते हैं कि कुंडली में अगर बुध अकेले बैठे हों तो कई बार यह व्यक्ति को छल-कपट का आचरण करने पर विवश कर देते हैं।
Deepa Sahu
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