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धर्म-अध्यात्म
चंद्र ग्रहण कितने प्रकार का होता है, जानिए क्या होते हैं इसके मायने
Bhumika Sahu
17 Nov 2021 4:56 AM GMT
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Chandra Grahan 2021: साल के आखिरी चंद्र ग्रहण को महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का योग बन रहा है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इस साल का आखिरी चन्द्र ग्रहण अब पड़ने वाला है. ये चंद्र ग्रहण 19 नवंबर 2021 (शुक्रवार) को लगने वाला है. कहते हैं कि जिस दिन चंद्र ग्रहण होता है कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए. इतना ही नहीं ग्रहण के वक्त बाहर नहीं निकलने को कहा जाता है. इस दिन ज्यादा ये ज्यादा भगवान की पूजा अर्चना करना चाहिए.
धार्मिक मान्यताओं अनुसार सूर्य हो या चंद्र ग्रहण इसका लगना अशुभ ही माना जाता है. इस साल आखिरी चंद्र ग्रहण इसी महीने होने वाला है. आपको बता दें कि चंद्रग्रहण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया, उत्तरी यूरोप और अमेरिका में दिखाई देगा. आपको बता दें कि 19 नवंबर को लगने वाला चन्द्र ग्रहण आंशिक होगा जिसका असर भारत के असम और अरुणाचल प्रदेश में कुछ ही समय के लिए देखने को मिलेगा.ज्योतिष के अनुसार चन्द्र ग्रहण वृष राशि वालों के लिए यह समय समस्याकारक साबित हो सकता है.
चंद्र ग्रहण का आंशिक चरण सुबह 11:34 बजे शुरू होगा और 05:33 बजे IST पर समाप्त होगा. इस साल की शुरुआत में, एक और चंद्र ग्रहण हुआ, जिसे "सुपर फ्लावर ब्लड मून" कहा गया.आइए जानते हैं कि चन्द्र ग्रहण कितने प्रकार का होता है और किसके क्या मायने होते हैं.
1. उपच्छाया चंद्रग्रहण (penumbral lunar eclipse)
ज्योतिष के अनुसार उपच्छाया चंद्रग्रहण भी होता है. ये चंद्र ग्रहण पृथ्वी की छाया वाला माना जाता है. इस ग्रहण में चंद्रमा के आकार पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता है . इसमें चांद की रोशनी में हल्का सा धुंधलापन आ जाता है, जिसमें ग्रहण को पहचानना भी आसान नहीं होता है.
2. आंशिक चंद्रग्रहण (partial lunar eclipse)
ज्योतिष के अनुसार आंशिक चंद्र ग्रहण भी बहुत बार पड़ता है. ये ग्रहण वो होता है जब सूरज और चांद के बीच पृथ्वी पूरी तरह न आकर केवल इसकी छाया ही चंद्रमा पर पड़ती है. ये वाला ग्रहण लंबे वक्त के लिए नहीं लगता है. लेकिन इसमें सूतक के सारे नियमों का पालन करना पड़ता है.
3. पूर्ण चंद्रग्रहण (total lunar eclipse)
पूर्ण चंद्र ग्रहण में सूतक काल माना जाता है. इसमें ग्रहण लगने के समय से ठीक 12 घंटे पहले सूतक लग जाता है. इस ग्रहण में पूरी तरह से चांद और सूरज के बीच पृथ्वी आती है. जिसमें पृथ्वी चांद को पूरी तरह से ढक लेती है. इस ग्रहण में चांद का रंग भी बदलकर लाल हो जाता है और इस पर धब्बे भी दिखाई देते हैं. ज्योतिष के अनुसार पूर्ण चंद्र ग्रहण सबसे प्रभावशाली माना जाता है. साथ ही इसका सभी राशियों पर अच्छा और बुरा प्रभाव देखने को मिलता है.
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