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- कैसे बनता है राजयोग
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक ग्रह एक निश्चित समय के दौरान एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन करता है। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का गोचर बहुत महत्वपूर्ण होता है, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है।
ग्रहों के परिवर्तन से राजयोग बनते हैं। ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं जिनकी कुंडली में राजयोग होता है।
राजयोग कैसे बनता है? – ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है कि जब किसी व्यक्ति की कुंडली के नौवें और दसवें घर में बैठे ग्रह शुभ होते हैं तो कुंडली में राजयोग का निर्माण होता है। कुंडली में यह योग होने पर व्यक्ति राजा के समान जीवन व्यतीत करता है। भृगुवेद में कहा गया है कि कुंडली में बुध और चंद्रमा की शुभ स्थिति राजयोग बनाती है, ऐसे लोग राजनीति में बहुत सफल होते हैं और उनका जीवन हर तरह से अच्छा होता है।
शुभ होते हैं ये पदचिह्न – समुद्रशास्त्र कहता है कि यदि किसी व्यक्ति के पैरों के तलवों पर चक्र या कुंडली का निशान हो तो वह नेता या शासक बनता है। यह भी माना जाता है कि वह व्यक्ति देश की सत्ता के शिखर पर पहुंच जाता है।
हाथ में हो ये चिन्ह – जिस व्यक्ति के हाथ या पैर में तारा, छाता, मछली, झील या वीणा जैसा कोई चिन्ह हो तो ये भी राजयोग का संकेत है। ऐसे व्यक्ति को जीवन में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है। साथ ही इन लोगों को जीवन में काफी मान-सम्मान भी मिलता है।
हाथों पर तिल – शरीर पर तिल भी आपको राजयोग के बारे में बता सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति की हथेली और तलवों पर तिल है तो यह राजयोग का संकेत देता है। कहते है कि जिस व्यक्ति की हथेली के मध्य में तिल होता है वह बहुत धनवान और भाग्यशाली होता है। वहीं, पैरों पर तिल होने का मतलब है कि व्यक्ति को राजा के समान सम्मान मिलने वाला है।
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