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धर्म-अध्यात्म
कैसे विघ्नहर्ता गणेश बने माता लक्ष्मी के पुत्र.....जानिए पौराणिक कथा
Bhumika Sahu
28 Jan 2022 4:39 AM GMT
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भगवान गणेश जी सिर्फ माता गौरी और शिव के पुत्र नहीं, बल्कि मां लक्ष्मी के भी दत्तक पुत्र हैं. माता लक्ष्मी ने उन्हें गोद लिया था, यहां जानिए गणपति मां लक्ष्मी के पुत्र कैसे बने और क्यों हमेशा लक्ष्मी के साथ उन्हें पूजा जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भगवान गणेश (Lord Ganesha) माता पार्वती और महादेव के पुत्र हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) भी श्रीगणेश को ही अपना पुत्र मानती है? गणपति को माता लक्ष्मी का दत्तक पुत्र कहा जाता है. दीपावली पर माता लक्ष्मी की श्रीगणेश के साथ पूजन माता और पुत्र के रूप में होता है. कहा जाता है कि लक्ष्मी के साथ अगर गणपति का भी पूजन किया जाए तो माता अत्यंत प्रसन्न होती हैं और ऐसे भक्तों पर सदैव अपनी कृपा दृष्टि बनाकर रखती हैं. भगवान गणेश माता लक्ष्मी के पुत्र कैसे बने, इसके पीछे एक पौराणिक कथा (Mythological Story) प्रचलित है. यहां जानिए उस कथा के बारे में.
गणपति को माता लक्ष्मी ने लिया था गोद
माता लक्ष्मी को जगत जननी कहा जाता है, क्योंकि वे जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पत्नी हैं. सारा संसार माता लक्ष्मी के ही प्रेम और माया से चलता है. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी को इस बात का घमंड हो गया कि संसार में हर कोई लक्ष्मी को ही पाना चाहता है. लक्ष्मी के बगैर किसी का काम ही नहीं चल सकता.
मां लक्ष्मी के इस अभिमान को श्री हरि ने भांप लिया, तब विष्णु जी ने सोचा कि माता का ये अहंकार समाप्त करना बहुत जरूरी है. इसलिए उन्होंने कहा कि ये सच है कि देवी लक्ष्मी के बगैर संसार में कुछ नहीं हो सकता. सारा संसार आपको पाने के लिए व्याकुल रहता है, लेकिन फिर भी देवी आप अपूर्ण हैं. नारायण की बात सुनकर माता लक्ष्मी को बहुत बुरा लगा और उन्होंने नारायण से पूछा कि वे अपूर्ण कैसे हैं?
तब विष्णु जी ने उनसे कहा कि जब तक कोई स्त्री मां नहीं बनती है, तब तब वह पूर्ण नहीं होती है. ये जानकर मां लक्ष्मी अत्यंत पीड़ा का अनुभव हुआ और वे अपने मन की बात कहने अपनी सखी पार्वती के पास पहुंचीं. उन्होंने कहा कि नि:संतान होना बेहद परेशान कर रहा है. इसलिए हे पार्वती क्या आप अपने दोनों पुत्रों में से एक को मुझे गोद दे सकती हैं? माता पार्वती ने उनका दुख दूर करने के लिए ये बात मान ली औश्र गणपति को माता लक्ष्मी को सौंप दिया. इसके बाद से गणपति माता लक्ष्मी के दत्तक पुत्र कहलाने लगे.
इसके बाद मां लक्ष्मी ने कहा कि आज से जिस घर में लक्ष्मी के साथ उसके दत्तक पुत्र गणेश की भी पूजा होगी, वहां मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी. यही कारण है कि गणपति के साथ लक्ष्मी की प्रतिमा मां विराजमान होती हैं और दोनों की पूजा हमेशा साथ की जाती है.
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