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मां अन्नपूर्णा की कैसे हुई घर वापसी, जानिए पूरी कहानी

Gulabi
12 Nov 2021 2:44 PM GMT
मां अन्नपूर्णा की कैसे हुई घर वापसी, जानिए पूरी कहानी
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पिछले साल नवंबर में मन की बात कार्यक्रम के 29वें एपिसोड में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की

पिछले साल नवंबर में मन की बात कार्यक्रम के 29वें एपिसोड में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की, कि लगभग एक सदी पहले भारत से चुराई गई देवी अन्नपूर्णा की एक प्राचीन मूर्ति को कनाडा से वापस लाया जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा था 'हर भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि मां अन्नपूर्णा की एक प्राचीन मूर्ति को कनाडा से भारत वापस लाया जा रहा है। यह मूर्ति वाराणसी (मोदी के लोकसभा क्षेत्र) के एक मंदिर से चुराई गई थी और लगभग 100 साल पहले 1913 के आसपास कहीं तस्करी करके देश से बाहर ले जाया गया था। उन्होंने कहा "माता अन्नपूर्णा का काशी के साथ एक बहुत ही खास बंधन है और मूर्ति की वापसी हम सभी के लिए बहुत सुखद है।


मां कब पहुंचेंगी काशी
पीएम की इस घोषणा के बाद से ही मां अन्नपूर्णा की मूर्ति की वापसी का इंतजार देशवासियों को होने लगा। अब यह इंतजार खत्म हुआ है। केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने गुरुवार को देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति एक कर्यक्रम में उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपी। इस मूर्ति को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) कनाडा से वापस लाया है। एएसआई को 15 अक्टूबर को यह मूर्ति दिल्ली में हासिल हुई।

यूपी सरकार ने देवी अन्नपूर्णा के स्वागत के लिए खास तैयारी की है। यूपी के 18 जिलों से गुजरते हुए 14 नवंबर को मां अन्नपूर्णा काशी पहुंचेंगी। हर जिले में यूपी सरकार के विधायक और मंत्रियों की प्रतिमा का स्वागत करने के लिए ड्यूटी लगाई गई है। 15 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के मौके पर सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में विश्वनाथ मंदिर के नए परिसर यानी निर्माणाधीन विश्वनाथ धाम में पूरे विधि विधान के साथ प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित किया जाएगा। मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ काशी समेत पूरी दुनिया का पेट भरने के लिए बाबा ने मां अन्नपूर्णा से ही भिक्षा मांगी थी। मां अन्नपूर्णा को भोजन की देवी माना जाता है।
कैसे आया मामला सामने
बनारस शैली में उकेरी गई 18वीं सदी की मूर्ति कनाडा के रेजिना विश्वविद्यालय के मैकेंजी आर्ट गैलरी के संग्रह का हिस्सा थी। जिसकी 1936 में नॉर्मन मैकेंजी ने मूर्ति की वसीयत कराई थी और इसे संग्रहालय में शामिल कर लिया था। पिछले साल, जब कलाकार दिव्या मेहरा को गैलरी में एक प्रदर्शनी के लिए आमंत्रित किया गया था, तो उन्होंने इस संग्रह पर शोध करना शुरू किया। इस दौरान मेहरा का ध्यान एक मूर्ति की तरफ गया जिनके हाथ में एक कटोरी चावल था। अभिलेखों में देखने पर, उन्होंने पाया कि इसी तरह की एक मूर्ति 1913 में वाराणसी के मंदिर से चुराई गई थी और जो मैकेंजी के पास पहुंच गई थी।

मां अन्नपूर्णा की पहचान कैसे हुई?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका के पीबॉडी एसेक्स संग्रहालय में भारतीय और दक्षिण एशियाई कला के क्यूरेटर सिद्धार्थ वी शाह को मूर्ति की पहचान करने के लिए बुलाया गया था। उन्होंने पुष्टि की कि यह वास्तव में देवी अन्नपूर्णा हैं। था। वह एक हाथ में खीर का कटोरा और दूसरे हाथ में एक चम्मच रखती हैं। उन्होंने यह भी पुष्टि की, कि ये भोजन की देवी से जुड़ी वस्तुएं हैं, जो काशी की भी देवी हैं।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक मेहरा के शोध से यह भी पता चला कि मैकेंजी ने 1913 में भारत की यात्रा के दौरान इस मूर्ति को देखा था। एक अजनबी ने यह सुन लिया कि मैकेंजी को वह मूर्ति बहुत पसंद आई और वे इसे अपने पास रखना चाहते हैं। उसके बाद यह मूर्ति चोरी हो गई और इस तरह यह मैकेंजी तक पहुंच गई।
वापसी की प्रक्रिया क्या थी
मेहरा ने मैकेंजी आर्ट गैलरी के अंतरिम सीईओ जॉन हैम्पटन से बात की और अनुरोध किया कि प्रतिमा को वापिस भारत भेजा जाए। गैलरी सहमत हो गई और यूनिवर्सिटी ने इस गलती को सुधारने की सोची। चुराई गई प्रतिमा के मिलने के बारे में जानकारी मिलने के बाद ओटावा में भारतीय उच्चायोग और कनाडा के विरासत विभाग ने गैलरी से संपर्क किया और प्रत्यावर्तन में सहायता करने की पेशकश की।

19 नवंबर को एक वर्चुअल प्रत्यावर्तन समारोह के साथ इस प्रतिमा की घर वापसी की यात्रा शुरू हो गई। समारोह में यूनिवर्सिटी के कुलपति थॉमस चेस ने कहा 'एक यूनिवर्सिटी के रूप में, हम ऐतिहासिक गलतियों को ठीक करने और विरासत को उनके उचित स्थान पर पहुंचाने में मदद करने की जिम्मेदारी लेते हैं। मूर्ति को वापस भेजने से उस गलती का प्रायश्चित नहीं होता जो एक सदी पहले की गई थी, लेकिन आज यह एक उचित और महत्वपूर्ण कार्य है।'

सात साल में चुराई गई 75 फीसदी धरोहरों की हुई वापसी
सिर्फ मां अन्नपूर्णा की हुई देश वापसी नहीं हुई है बल्कि भारत की मूर्तियों से चुराई गई कई अन्य मूर्तियों और ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यतों की चुराई गई धरोहरें देश वापस लाई गई हैं। संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने इसी साल मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया था कि सात साल में 75 फीसदी ऐतिहासिक धरोहर वापस लाई गईं हैं। बाद में बोलते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'यह गर्व की बात है कि हमने चुराई गई अपनी कई विरासतों को विदेशों से हासिल कर लिया है। पिछले सात सालों के दौरान विदेशों से लाई गईं पुरावशेषों की संख्या अब तक की सबसे अधिक है। 2014 से 2020 तक 41 विरासत वस्तुएं और मूर्तियां भारत वापस आ गईं करीब 75 प्रतिशत से ज्यादा है'।

बताया जा रहा है कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जर्मनी से भी कई मूर्तियां भारत वापिस आ चुकी हैं। पिछले साल केंद्रीय संस्कृति मंत्री रहे प्रह्लाद सिंह पटेल ने भगवान राम, लक्ष्मण और देवी सीता की 13 वीं शताब्दी की कांस्य मूर्तियों को तमिलनाडु सरकार को सौंपा जिसे हाल ही में ब्रिटेन से वापस लाया गया था। तब पटेल ने कहा था कि चोरी हुए 75-80 अन्य प्राचीन वस्तुओं की वापसी पाइपलाइन में है, लेकिन कानूनी प्रक्रिया में लंबा समय लगता है।
साभार: अमर उजाला
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