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Bajrangbali का नाम हनुमान कैसे पड़ा? पढ़ें और जानें
Religion धर्म-आध्यात्म :पौराणिक कथाओं के मुताबिक, बचपन में हनुमान जी को मारुति के नाम से पुकारा जाता था. एक दिन बजरंगबली अपनी नींद से जागे तो उन्हें बहुत तेज भूख लगी हुई थी. उन्होंने देखा कि उनके पास एक पेड़ पर लाल पका हुआ फल लगा हुआ है. ऐसे में उनके मन में विचार आया कि इस फल को खाकर ही भूख मिटाई जाए. पर वास्तव में मारुति जिसे फल समझ रहे थे वह तो सूर्य देवता थे. मारुति अपनी भूख मिटाने के लिए सूर्य को खाने उसकी तरफ बढ़ने लगे. उस दिन अमावस्या थी और सूर्य को राहु का ग्रहण लगने वाला था.
सूर्य को राहु का ग्रहण लगता, उससे पहले ही हनुमान जी सूर्य को खाने चल पड़े. पवनपुत्र ने पूरा सूर्य अपने मुंह में ले लिया, ऐसे में राहु बहुत चकित हो गए. राहु को समझ ही नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है. ऐसे में वह सहायता के लिए इंद्रदेव के पास गए. इंद्रदेव ने बार- बार हनुमान जी से आग्रह किया, मगर हनुमान जी ने सूर्य देवता को मुंह से बाहर नहीं निकाला. इसके पश्चात, इंद्र ने बजरंगबली के मुंह पर अपने वज्र से प्रहार कर दिया. वज्र के प्रहार के बाद सूर्य देवता तो उनके मुख से बाहर आ गए, मगर बजरंगबली मूर्छित होकर जमीन पर गिर गए.
नीचे गिरने की वजह से उनकी ठुड्डी टेढ़ी हो गई. जब पवन देवता को यह सब पता चला तो वह बहुत क्रोधित हो गए. उन्होंने पूरी दुनिया में वायु के प्रभाव को रोक दिया. इसके परिणामस्वरुप पूरी पृथ्वी पर हाहाकार मच गया. ऐसे में इस स्थिति को देखते हुए सभी देवतागण इकट्ठा हुए और पवन देवता के पास गए.
सभी देवताओं ने मिलकर पवन देवता से निवेदन किया कि वह अपनी शक्ति वापस कर ले और स्थिति को पहले जैसा कर दे. पवन देवता को खुश करने के लिए सभी देवताओं ने हनुमान जी को ठीक कर दिया तथा उन्हें बहुत सारे वरदान भी दिए. देवताओं ने बजरंगबली को जो वरदान दिए, उनसे वह और शक्तिशाली हो गए. मगर वज्र के प्रभाव से उनकी ठुड्डी टेड़ी होने के कारण ही उनका नाम हनुमान पड़ा.