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भगवान को भोग तो सभी लोग लगाते हैं लेकिन भोग लगाने का सही तरीका क्या है , भगवान को भोग कैसे लगाना चाहिए और भोग में क्या रखें क्या ना रखें , इसमें हमेशा संशय बना रहता है।
जनता से रिश्ता। भगवान को भोग तो सभी लोग लगाते हैं लेकिन भोग लगाने का सही तरीका क्या है , भगवान को भोग कैसे लगाना चाहिए और भोग में क्या रखें क्या ना रखें , इसमें हमेशा संशय बना रहता है। आइये इस बारे में जानते हैं।
भगवान को भोग क्यों लगाते हैं
Bhagvan ko bhog kyo
शास्त्रों के अनुसार भोजन मे तीन प्रकार के दोष होते हैं – जाति दोष , आश्रय दोष और निमित्त दोष । इन तीनों दोषों का शमन करने के लिए भगवान को भोग लगाया जाता है ।
भगवान को भोग लगाने के बाद किया जाने वाला भोजन बुद्धि को सौम्य बना देता है । जैसा कि कहा जाता है जैसा खाया अन्न वैसा बने मन । अतः भगवान को भोग लगाकर किया जाने वाला अन्न जल का सेवन श्रेष्ठ होता है।
भगवान को भोग कैसा लगाना चाहि
वाल्मीकि रामायण के अनुसार जैसा भोजन हम करते हैं वैसा ही देवताओं को अर्पित करना चाहिए । पुराणों मे बताए गए नियम के अनुसार लहसुन और प्याज से बने हुए व्यंजन का भोग नहीं लगाना चाहिए । अशुद्ध या तामसिक वस्तु का भोग नहीं लगाना चाहिए।
किन चीजों का भोग लगायें
हम जो सात्विक चीजें भोजन मे लेते हैं उनका भोग लगाना चाहिए जैसे हलवा , खीर , गुड़ , मठरी , लड्डू , चपाती , पूरी , दाल भात , सब्जी आदि । शास्त्रों के अनुसार यदि इनमे से कुछ उपलब्ध ना हो तो खीर मे थोड़ा घी डालकर भगवान को भोग अर्पित किया जा सकता है।
खीर ना हो तो फल, फल ना हो तो फूल पत्ती का भोग लगाया जा सकता है। ये भी ना हो तो सिर्फ जल का भोग लगा सकते हैं । जल भी उपलब्ध ना हो तो ऐसी परिस्थिति में सिर्फ मनोभाव से भी भगवान को भोग लगाया जा सकता है।
अर्थात किस चीज का भोग लगा रहे हैं इसकी अपेक्षा किस मनोभाव से भोग लगा रहे हैं यह अधिक महत्व रखता है ।
भोग कैसे बनायें
भगवान का भोग बनाते समय मन का भाव माता-पिता के लिए या बच्चों के लिए भोजन बनाने जैसे होने चाहिए । रसोईघर मे चप्पल जूते आदि के साथ प्रवेश नहीं करना चाहिए । भगवान के लिए भोग खुद अपने हाथों से बनाया जाना अधिक उचित है ना की घरेलू नौकर आदि के द्वारा बनाया गया ।
समय और मौसम के अनुसार भोग लगाया जा सकता है जैसे सुबह दूध , मिष्ठान आदि का भोग लगा सकते हैं। दोपहर मे पूरा भोजन बनता है तब उसका भोग लगा सकते हैं । गर्मी के मौसम मे ठंडे और सर्दी के मौसम मे गर्म व्यंजन का भोग ठीक रहता है । शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए ।
भोग लगाने के लिए बर्तन कैसा ले
पुराणों के अनुसार भगवान को भोग लगाने के लिए सोने , चांदी , तांबा , कांस्य , ढाक के पत्ते , केले के पत्ते आदि का प्रयोग भोग लगाने के लिए किया जा सकता है । आजकल घर मे अधिकतर स्टील के तथा काँच के बर्तन होते हैं ये भी साफ , सुंदर और शुद्ध हों तो इनका उपयोग भोग लगाने के लिए किया जा सकता है ।
भोग लगाने का सही तरीका
विष्णु भगवान को भोग लगाने का तरीका –
भगवान के दायें हाथ की तरफ भोजन रखना चाहिए । शुद्ध जल का पात्र साथ मे रखना चाहिए । सबसे पहले शुद्ध जल हाथ मे लेकर भगवान के सामने जमीन पर गोलाकार जल छिड़के । इस पर भोजन की थाली रखें ।
दायें हाथ मे जल का लोटा तीन बार थाली के ऊपर घुमायें । कहें – " ॐ अमृतोपस्तरणमसी स्वाहा "
फिर थोड़ा सा जल धरती पर छोड़ दें ।
इसके पश्चात जल मे तथा भोजन मे तुलसी का पत्ता रखें।
अब थाली को उठाकर मनोभाव से प्रार्थना करें – भगवान भोग लगाइए ।
मंत्र का उच्चारण कर सकें तो यह मंत्र बोलें –
शर्कराखंड खाद्यानी दधिक्षीर घृतानी च ! आहारं भक्ष्य भोज्यम च नैवेध्यम प्रतिगृह्यताम !!
अथवा ये मंत्र बोलें –
त्वदीयम वस्तु गोविंद तुभ्यमेव समर्पये ! गृहाण सुमुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर !!
अथवा ये मंत्र भी बोल सकते हैं –
श्रीमन नारायणं नमः , नैवेध्यम निवेदयामी
अब बाएं हाथ को अंजली की तरह बना कर दायें हाथ से ग्रास मुद्रा बनाकर भोग इस तरह लगाएं –
सभी अंगुली और अंगूठा मिलाकर अन्न को छूएँ फिर भगवान के मुख की तरफ ले जाकर कहें –
ॐ समानाय स्वाहा !
अब पानी अर्पित करें । फिर कुछ समय आँख बंद करके ध्यान करें की भगवान भोजन कर रहे हैं । इस समय घंटी बजाते हुए ॐ नमो भगवते वासुदेव का जाप करें ।
इस तरह सम्पूर्ण भोग लगाने से भोजन महाप्रसाद बन जाता है । इसे सभी घर वालों को थोड़ी थोड़ी मात्रा मे ग्रहण जरूर करना चाहिए । अथवा इसे पूरे भोजन मे मिला दें ताकि जो भी भोजन करे उसे प्रसाद मिल जाए ।
Shantanu Roy
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