धर्म-अध्यात्म

आज से पवित्र अमरनाथ यात्रा शुरू, गुफा में विराजते हैं शिव और पार्वती

Subhi
30 Jun 2022 3:12 AM GMT
आज से पवित्र अमरनाथ यात्रा शुरू, गुफा में विराजते हैं शिव और पार्वती
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आज से पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा शुरू हो चुकी है। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर श्रीअमरनाथ की पवित्र गुफा में वैदिक मंत्रोच्चारण और हर-हर महादेव के जयघोष के बीच प्रथम पूजा की गई।

आज से पवित्र अमरनाथ गुफा की यात्रा शुरू हो चुकी है। ज्येष्ठ पूर्णिमा पर श्रीअमरनाथ की पवित्र गुफा (अनंतनाग)में वैदिक मंत्रोच्चारण और हर-हर महादेव के जयघोष के बीच प्रथम पूजा की गई। गुफा में हिमलिंग स्वरूप बाबा बर्फानी पूरे आकार में विराजमान होकर दर्शन दे रहे हैं। प्रथम पूजा यात्रा की पारंपरिक शुरुआत का प्रतीक है। अमरनाथ यात्रा 11 अगस्त को रक्षाबंधन वाले दिन संपन्न होगी। पुराणों में वर्णित है कि एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से पूछा,कि आप अजर-अमर हैं और मुझे हर जन्म के बाद नए स्वरूप में आकर फिर से वर्षों की कठोर तपस्या के बाद आपको प्राप्त करना होता है और आपके कंठ में पड़ी यह नरमुण्ड माला तथा आपके अमर होने का रहस्य क्या है? भगवान शिव ने माता पार्वती से एकांत और गुप्त स्थान पर अमर कथा सुनने को कहा जिससे कि अमर कथा कोई अन्य जीव ना सुन पाए क्योंकि जो कोई भी इस अमर कथा को सुन लेता है वह अमर हो जाता। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अमरनाथ की गुफा ही वह स्थान है जहां भोलेनाथ ने पार्वती को अमर होने के गुप्त रहस्य बताए थे।

यहां सुनाई अमर कथा

अमर कथा सुनाने के लिए शर्त यह थी कि कोई अन्य प्राणी या कोई भी जीव इस कथा को न सुन सके। इसलिए महादेव ने सबसे पहले अपने वाहन नंदी को पहलगांव में छोड़ा,यही वह जगह है जहां से अमरनाथ की यात्रा शुरू होती है। यहां से थोड़ा आगे चलने पर शिवजी ने अपने शीश से चन्द्रमा को अलग किया,इसलिए यह स्थान चन्दनबाड़ी कहलाया। इसके बाद गंगाजी को पंचतरणी में और कंठ पर लिपटे हुए सर्पों को शेषनाग स्थान पर छोड़ दिया। श्री गणेशजी को उन्होने महागुणा पर्वत पर छोड़ दिया,इसके आगे महादेव ने पिस्सू नमक कीड़े को त्यागा था,इस जगह को पिस्सूघाटी कहा जाता है। इस प्रकार महादेव ने अपने इन अभिन्न अंगों (नंदी,गंगा,चन्द्रमा,शेषनाग,पिस्सू) को अपने से अलग कर माता पार्वती संग अत्यंत सुंदर गुफा में प्रवेश किया।

अमर हुआ कबूतरों का जोड़ा

गुफा में महादेव ने जीवन के उस गूढ रहस्यों की कथा शुरू कर दी। मान्यता है कि कथा सुनते-सुनते देवी पार्वती को नींद आ गई थी। उस समय वो कथा वहां दो सफेद कबूतर सुन रहे थे। जब कथा समाप्त हुई और भगवान शिव का ध्यान माता पार्वती पर गया तो उन्होंने पार्वती जी को सोया हुआ पाया। तब महादेव की दिव्य दृष्टि उन दोनों कबूतरों पर पड़ी। इसे देखते ही शिवजी को उन पर क्रोध आ गया। फिर दोनों कबूतर महादेव के पास आकार बोले कि हमने आपकी अमर कथा सुनी है,यदि आप हमें मार देंगे तो आपकी कथा झूठी हो जाएगी। कहते हैं कि इस पर महादेव ने उन कबूतरों को वर दिया कि वो सदैव उस स्थान पर शिव और पार्वती के प्रतीक के रूप में रहेंगे। बाबा बर्फानी के दर्शन करने वाले भक्तों को आज भी उन कबूतरों के दर्शन हो जाते हैं।

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