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- होली भाई दूज आज, जानिए...
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आज पूरे देश में होली का त्योहार पूरे उत्साह और जोश के साथ मनाया जा रहा है। होली त्योहार मनाने के अगले ही दिन होली भाईदूज त्योहार मनाने की परंपरा है। दीपावली के समान ही होली के बाद भी भाईदूज मनाई जाती है। भाई दूज का त्योहार द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक चैत्र के कृष्ण पक्ष की द्वितीय को भाई दूज मनाई जाती है। इस साल भाईदूज का यह पर्व 30 मार्च को मनाया जाएगा।
होली भाई दूज शुभ मुहूर्त-
द्वितीया तिथि प्रारम्भ - मार्च 29, 2021 को 08:54 PM बजे
द्वितीया तिथि समाप्त - मार्च 30, 2021 को 05:27 PM बजे
भाईदूज के दिन ये है शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 30 मार्च 04:28 ए एम से मार्च 31 से 05:14 ए एम तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:48 ए एम से 12:38 पी एम तक।
विजय मुहूर्त- 02:17 पी एम से 03:06 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त 06:12 पी एम से 06:36 पी एम तक।
अमृत काल 06:41 ए एम से 08:06 ए एम तक।
द्विपुष्कर योग- 06:02 ए एम से 12:22 पी एम तक।
होली दूज का धार्मिक महत्व
जिस प्रकार से दीपावली के एक दिन बाद भाई दूज मनाकर भाई की लंबी उम्र के लिए कामना की जाती है और उसी प्रकार होली के बाद दूसरे दिन भाई का तिलक करके बहनें भाई दूज मनाती है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से भाई-बहन सभी प्रकार के संकटों से बचाया जा सके। शास्त्रों में यह भी मान्यता है कि होली के अगले दिन भाई को तिलक करने से सभी प्रकार की विपत्तियों से मुक्ति मिल जाती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है।
होली भाई दूज की कथा
पौराणिक कथाओं से अनुसार मान्यता है कि एक नगर में एक बुढ़िया औरत रहती थी। उस बुजुर्ग औरत का एक पुत्र और एक पुत्री थी। बुजुर्ग महिला ने अपनी बेटी की शादी कर दी थी और एक बार होली के बाद भाई ने अपनी मां से अपनी बहन के यहां जाकर तिलक कराने का आग्रह किया तो बुजुर्ग महिला ने अपने बेटे को जाने की इजाजत दे दी। जब बेटा एक जंगल से गया रास्ते में एक विशाल भयावह नदी मिली और उसने कहा कि मैं तेरा काल हूं और तेरी जान लूंगी। इस पर बुढ़िया का बेटा बोला पहले मैं अपनी बहन से तिलक करा लूं फिर मेरे प्राण हर लेना
इसके बाद एक शेर मिला तो बुजुर्ग महिला के बेटे ने कहा कि मैं तुझे मारकर खाऊंगा। बेटे ने फिर कहा कि बहन से तिलक कराकर वापस आता हूं। ऐसे ही रास्ते में सांप भी मिला था। तमाम विपत्तियों के बाद जब भाई अपनी बहन के घर पहुंचता है तो उस समय बहन सूत काट रही होती है और जब वह उसे उसका भाई पुकारता है तो वह उसकी आवाज को अनसुना कर देती है, लेकिन जब भाई दुबारा आवाज लगाता है तो उसकी बहन बाहर आ जाती है।
इसके बाद उसका भाई तिलक कराकर दुखी मन से वापस जाने के लिए कहता है तो बहन दुख का कारण पूछती और भाई उसे सब बता देता है। तब उसकी बहन भाई को कुछ देर से लिए रूकने के लिए कहती है। तब बहन एक तालाब के पास जाती है जहां उसे एक बुढ़िया मिलती है और वह उस बुढ़िया से अपनी इस समस्या का समाधान पूछती है।
इस पर बुढ़िया कहती है यह तेरे ही पिछले जन्मों का कर्म है जो तेरे भाई को भुगतना पड़ रहा है। अगर तू अपने भाई को बचाना चाहती है तो उसकी शादी होने तक वह हर विपदा को टाल दे तो तेरा भाई बच सकता है। इसके बाद बहन भाई के पास जाती है और कहती है कि मैं तुझे घर छोड़ने के लिए चलूंगी और वह शेर के लिए मांस, सांप के लिए दूध और नदी के लिए ओढ़नी लाती है। इस तरह से वह बहन अपने भाई को बचा लेती है।