धर्म-अध्यात्म

रक्षा बंधन का इतिहास, जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा

Shiddhant Shriwas
19 Aug 2021 2:40 AM GMT
रक्षा बंधन का इतिहास, जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। रक्षाबंधन का पावन त्योहार 22 अगस्त 2021 रविवार को मनाया जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन का त्योहार सावन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधते हुए भाई की लंबी उम्र और समृद्धि की प्रार्थना करती हैं और भाई अपनी बहन को उपहार देता है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र और अटूट रिश्ते को दर्शाता है। जानते हैं इस पर्व से जुड़ी दिलस्प बात को। क्या आपको पता है कि सबसे पहले किसने किसको राखी बांधी थी। आइए जानते हैं राखी से जुड़े दिलचस्प इतिहास को।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब राजा बलि अश्वमेध यज्ञ करा रहे थे। उस समय भगवान विष्णु राजा बलि को छलने के लिए वामन अवतार लिया और राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी राजा बलि ने सोचा कि यह ब्राह्मण तीन पर में कितनी धरती नाप लेगा उन्होंने हां कर दी। लेकिन देखते ही देखते वामन रुप धारण किए विष्णु जी का आकार बढ़ता गया और तीन पग में उन्होंने सब कुछ नाप लिया। भगवान विष्णु ने राजा बलि को रहने के लिए पाताल लोक दिया।

कहा जाता है कि राजा बलि ने पाताल लोक में रहना स्वीकर कर लिया परंतु दानवीर बलि ने कहा कि मुझे आपसे एक वचन चाहिए। भगवान विष्णु इस पर राजी हो गए, तभी राजा बलि ने विष्णु जी से कहा कि, जब भी देखूं तो सिर्फ आपको ही देखूं जिस समय देखूं, केवल आपको ही देंखू, सोते जागते हर क्षण आपको ही देखूं। अपने वचन के अनुसार भगवान ने तथास्तु कह दिया और पाताल लोक में रहने लगे।

उधर, लक्ष्मी जी को अपने स्वामी की चिंता होने लगी। उसी समय भ्रमण करते हुए नारद जी बैकुंठ पहुंचे। लक्ष्मी जी ने पूछा कि हे देवर्षि ! आप तो तीनों लोकों में भ्रमण करते हैं। क्या आपने नारायण को कहीं देखा है? लक्ष्मी जी के इस प्रश्न पर देवर्षि ने सारी बात उन्हें बता दी और बताया कि नारायण पाताल लोक में राजा बलि के साथ उनके पहरेदार बनकर रह रहें हैं।

इसके बाद लक्ष्मी जी ने नारद जी से पूछा कि नारायण को वापस लाने का क्या उपाय है। इस समस्या का हल बताते हुए देवर्षि ने कहा कि आप राजा बलि को भाई बना लीजिए और उनसे रक्षा का वचन ले लेना। तिर्बाचा कराने के बाद दक्षिणा में नारायण को मांग लेना। तत्पश्चात माता लक्ष्मी स्त्री का भेष धारण किया और रोते हुए पाताल लोक पहुंच गई।

इस पर राजा बलि ने उनके रोने का कारण पूछा उनके पूछने पर लक्ष्मी जी ने कहा कि मेरा कोई भाई नहीं, इसलिए में अत्यंत दुखी हूं। तब बलि ने कहा कि तुम मेरी धर्म बहन बन जाओ। इसके बाद लक्ष्मी जी बलि से तिर्बाचा करवाया और दक्षिणा स्वरुप राजा बलि से उनका पहरेदार मांग लिया। कहते हैं कि तभी से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाने लगा।

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