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धर्म-अध्यात्म
हाई अलर्ट: हरिद्वार-ऋषिकेश का आप घर बैठे ही उठा सकते हैं महापर्व कुंभ का लाभ
Deepa Sahu
8 Feb 2021 2:07 PM GMT
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कोविड 19 की समस्या के चलते इस बार महापर्व कुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या पर पांबदी लगाई गई थी।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: कोविड 19 की समस्या के चलते इस बार महापर्व कुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या पर पांबदी लगाई गई थी। और इसी बीच उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने की घटना के चलते हरिद्वार-ऋषिकेश हाई अलर्ट पर है। अगर आप भी कुंभ जाना चाहते थे और अब तक नहीं जा पाए हैं और आगे भी न जा पाने की संभावनाएं ही हैं तो आप घर पर रहते हुए भी कुंभ का लाभ ले सकते हैं? आइए जानते हैं कैसे?
12 वर्षों बाद हाई अलर्ट,हरिद्वार-ऋषिकेश, घर बैठे ही उठा, महापर्व कुंभ का लाभ,High alert, Haridwar-Rishikesh, got up at home, the benefit of Mahaprabha Kumbh,आयोजन की अनोखी परंपरा
यूं तो कुंभ मेले का आयोजन प्रत्येक 12 वर्षों पर किया जाता है। लेकिन इस बार विलक्षण संयोग बना है। दैवयोग से इस वर्ष काल गणना और ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति कुछ ऐसी है कि हरिद्वार में 11 वर्ष बाद ही 14 जनवरी को कुंभ मेले की शुरुआत हुई। यह 27 अप्रैल तक चलेगा। इस बार कोविड के चलते कम से कम श्रद्धालुओं को ही पहुंचने की अनुमति है। ऐसे में हरिद्वार स्थित शांतिकुंज की ओर से 'आपके द्वार पहुंचा हरिद्वार' अभियान शुरू किया गया है। इसका उद्देश्य लोगों के घरों तक पतित पावनी मां गंगा का जल पहुंचाना और लोगों को कुंभ की महत्ता बताना है।
यूं पहुंचा रहा है शांतिकुंज घर-घर कुंभ का जल
शांतिकुंज कार्यकर्ता सुनील शर्मा ने बताया 'आपके द्वार पहुंचा हरिद्वार' की शुरुआत श्रद्धालुओं तक महापर्व कुंभ का गंगाजल पहुंचाने के लिए की गई है। इसी के साथ इस वर्ष शांतिकुंज का स्वर्ण जयंती वर्ष भी है। ऐसे में घर-घर तक गंगाजल पहुंचाने के साथ ही लोगों को मां गायत्री और कुंभ का महत्व भी बताया जाएगा। यही नहीं मां गंगा का जल पूजन विधि संपन्न करके ही भक्तों को उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस अभियान के तहत 5हजार शक्तिपीठों को 24-24 घरों का लक्ष्य दिया गया है। इसके अलावा भक्तजन स्वयं भी अपने निकटतम गायत्री शक्तिपीठ पहुंचकर कुंभ का जल प्राप्त कर सकते हैं।
उत्तराखंड ने पूर्व में झेली है इतनी तबाही
रविवार को उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से भारी तबाही हुई है। इसके चलते हरिद्वार-ऋषिकेश हाई अलर्ट पर है। बता दें कि इससे पहले वर्ष 1991 उत्तरकाशी में अक्टूबर 1991 में 6।8 तीव्रता का भूकंप आया। इस आपदा में कम से कम 768 लोगों की मौत हुई और हजारों घर तबाह हो गए थे। इसके बाद वर्ष वर्ष 1998 पिथौरागढ़ जिले का छोटा सा गांव माल्पा भूस्खलन के चलते बर्बाद हुआ। वर्ष 1999 में चमोली जिले में आए 6।8 तीव्रता के भूकंप ने 100 से अधिक लोगों की जान ले ली थी। वहीं पड़ोसी जिले रुद्रप्रयाग में भी भारी नुकसान हुआ था। इसके बाद वर्ष 2013 में जून में एक ही दिन में बादल फटने की कई घटनाओं के चलते भारी बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं हुईं थीं। राज्य सरकार के आंकलन के मुताबिक इस आपदा में 5,700 से अधिक लोग इस आपदा का शिकार हुए थे।
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