धर्म-अध्यात्म

हर‍िकेशी चांडाल ने छूये थे भगवान महावीर के पैर, फिर जानें क्‍या हुआ?

Nilmani Pal
28 April 2021 1:06 PM GMT
हर‍िकेशी चांडाल ने छूये थे भगवान महावीर के पैर, फिर जानें क्‍या हुआ?
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जब भगवान महावीर सारा राजवैभव त्याग कर दीक्षा धारण करने केलिए खंड वन नाम के एक उद्यान की ओर जा रहे थे।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| पिछले कुछ वर्षों में डॉक्टरों, शोधकर्ताओं और मनोविज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत लोगों ने 'चिंता' के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर काफी अध्ययन किया गया है। इसमें उनका मानना है कि चिंता करने से हम वास्तव में अपनी आयु कम कर रहे हैं। चिंता से तनाव होता है और यह तनाव हमारे शरीर में उन हार्मोन्स को उत्पन्न करता है, जो खतरे से बचने के लिए बनाए गए थे। खतरे की स्थिति में या तो हम भागते हैं या सामना करते हैं। ये हार्मोन्स हमारी बाहों और टांगों की ताकत को दौड़ने या लड़ने के लिए मजबूत करते हैं। किंतु जब हम बिना भागे या लड़े तनाव महसूस करते हैं, तो ये हार्मोन्स हमारे समस्त शरीर में फैल जाते हैं। इन हार्मोन्स की अधिकता से शरीर के विभिन्न हिस्सों को नुकसान होता है।

चिंता पर किए गए कुछ रिसर्च इस तथ्य की ओर इशारा करते हैं कि चिंता एक ऐसी स्थिति है जो डर से पैदा होती है। एक अध्ययन में कहा गया है कि एक तिहाई से ज्यादा लोग उन चीजों के बारे में चिंता करते हैं, जो कभी होती ही नहीं। दूसरे एक तिहाई लोग उन चीजों के बारे में चिंता करते हैं, जो भूतकाल में हुई होती हैं और जिन्हें बदला नहीं जा सकता। बचे हुए एक तिहाई लोग उन चीजों की चिंता करते हैं जो कि अन्य व्यक्तियों से जुड़ी होती हैं, और जिनसे उनका कोई संबंध नहीं होता, या फिर उन बीमारियों से जुड़ी होती है, जिनका सिर्फ एक छोटा सा अंश हमारे अंदर होता है। इस प्रकार की चिंताओं से कैसे मुक्ति पाई जा सकती है?
चिंता से दूर कैसे हों? अगली बार किसी भी विषय को लेकर हमें चिंता हो, तो हम यह विचार कर सकते हैं कि क्या यह सही है कि हम जीवन के बहुमूल्य समय को उन चीजों के विचार में लगा रहे हैं, जो शायद होंगी या नहीं, इसकी हमें कोई जानकारी नहीं। अगर वास्तव में कोई समस्या है, तब भी चिंता करने की जगह हमें उस समस्या के समाधान के लिए निश्चित योजनाएं बनानी चाहिए। समस्या के समाधान के अलावा हमें चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। कर्म करना उपयोगी है किंतु चिंता करना व्यर्थ है। समस्या के समाधान के लिए हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए।
अतीत से शिक्षा अतीत में हुई घटनाओं से मिलती है। अतीत में हुई अपनी गलतियों के प्रति सावधान रहें और भविष्य में उन्हें न दोहराने का संकल्प लें। जब हम उन्हें भूलते हैं तो हम अपनी मानसिक ऊर्जा को अन्य कार्यों में लगाकर बेहतर परिणाम पा सकते हैं। चिंता से आजादी पाने के लिए सर्वोत्तम तरीकों में से एक प्रभु में विश्वास करना है। जिंदगी में कई बार हम अच्छे समय या फिर कठिनाइयों में से गुजरते हैं। जब चीजें हमारे लिए अच्छी हो रही होती हैं, हम प्रभु में विश्वास करते हैं। लेकिन हमारे प्रयासों के बावजूद यदि हमें बुरे समय से गुजरना पड़ता है तो प्रभु के प्रति हमारा विश्वास डगमगा जाता है, और तब हम प्रश्न करते हैं कि क्या प्रभु है? कुछ समय बाद हमें यह अनुभव होता है कि जो कुछ भी हमारे साथ हुआ, उसमें हमारी कोई भलाई थी।
आइए! हम अपने जीवन के सभी क्षेत्रों में प्रभु पर विश्वास करके चिंता से मुक्ति प्राप्त करें। ऐसा हम ध्यान-अभ्यास के माध्यम से ही कर सकते हैं। इसके जरिए हम अपने जीवन में प्रभु की उपस्थिति को हमेशा अनुभव करेंगे।



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