धर्म-अध्यात्म

Haridwar Kumbh 2021: पहला शाही स्नान है शिवरात्रि पर, जाने से पहले इन नियमों को जान ले

Deepa Sahu
24 Jan 2021 4:43 PM GMT
Haridwar Kumbh 2021: पहला शाही स्नान है शिवरात्रि पर, जाने से पहले इन नियमों को जान ले
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भारतीय सनातन संस्कृति में कुंभ विश्वास, आस्था, सौहार्द और संस्कृतियों के मिलन

जनता से रिश्ता वेबडेस्क: भारतीय सनातन संस्कृति में कुंभ विश्वास, आस्था, सौहार्द और संस्कृतियों के मिलन का सबसे बड़ा पर्व है। कुंभ मेला समुद्रमंथन से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि समुद्रमंथन के बाद जब अमृत प्राप्त हुआ तो देवों और दानवों के बीच अमृत पान करने के लिए युद्ध होने लगा, उस दौरान अमृत की कुछ बूंदे छलककर जिन स्थानों पर गिरी उनमें से चार स्थान पृथ्वी लोक पर हैं, इन्ही स्थानों पर कुंभ का आयोजन किया जाता है। इस बार कुंभ हरिद्वार में लगा है। पहला शाही स्नान महाशिवरात्रि को किया जाएगा। हर व्यक्ति चाहता है कि अपने जीवन में एक बार ही सही उसे भी कुंभ में स्नान करने का सौभाग्य अवश्य प्राप्त हो, लेकिन क्या आपको पता है कि कुंभ में स्नान करने के लिए नियमों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है। कहा जाता है कि कुंभ के नियमों में लापरवाही बरतने से जातक को जन्म-जन्मांतर तक इस गलती का फल भुगतना पड़ता है। तो चलिए जानते हैं कुंभ स्नान के नियम..

''त्याग'' इसका अर्थ यहां पर है कि यदि आपके अंदर कोई बुरी आदत है और दूसरों को उससे नुकसान या परेशानी हो सकती हैं तो उसका त्याग कर दें और जीवन में वह बुरी आदत कभी अपने अंदर न पनपने दें। इसके अलावा लोग केश त्याग यानि मुंडन भी करवाते हैं।
कुंभ स्नान करते समय विशेषतौर पर ध्यान रखना चाहिए कि नदी में पांव रखने से पहले नदी को प्रणाम करें, उसमें पुष्प और अपनी इच्छाशक्ति मुद्रा डालें। इसके बाद नदी में स्नान करें। स्नान करने के पश्चात किसी साधु को वस्त्र आदि का दान जरूर करें। सनातन संस्कृति में दान का बहुत महत्व माना गया है, इसके अनुसार यदि किसी को भी कुंभ स्नान करना हो तो उसके बाद कुछ न कुछ दान करके ही जाएं।
सनातन धर्म में नदियों को बहुत ही पूजनीय मानते हैं। इसलिए साधारणतया किसी भी पवित्र नदि में स्नान करने के भी कुछ नियम होते हैं, यदि आप कुंभ में स्नान करने जा रहे हैं तो कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना आवश्यक होता है। नदी के समीप शौच, कुल्ला, कंघी करके बाल डालना, जल में क्रीड़ा करना, रतिक्रिया करना या फिर कपड़े धोना ये कार्य भूलकर भी नहीं करने चाहिए। कहा जाता है कि कुंभ में किए गए पाप का फल मनुष्य को इस जन्म के बाद कई जन्मों तक भुगतान पड़ता है।


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