धर्म-अध्यात्म

गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं, भगवान गणपति के 32 रूपों का यहां करें दर्शन

Nidhi Markaam
10 Sep 2021 2:10 AM GMT
गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं, भगवान गणपति के 32 रूपों का यहां करें दर्शन
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शुक्रवार, 10 सितंबर 2021 को रिद्धि-सिद्धि के दाता, प्रथम पूज्य, लोक मंगल के देवता, सुख संपदा और समृद्धि प्रदान करने वाले देवता भगवान श्रीगणेश का जन्मोत्सव मनाया जाएगा

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शुक्रवार, 10 सितंबर 2021 को रिद्धि-सिद्धि के दाता, प्रथम पूज्य, लोक मंगल के देवता, सुख संपदा और समृद्धि प्रदान करने वाले देवता भगवान श्रीगणेश का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। भाद्रपद माह की गणेश चतुर्थी पर भगवान गणपति घर-घर विराजते हैं। पंडालों में इनकी बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं सभी के आर्कषण का केंद्र बिन्दु होती हैं। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र व रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान श्रीगणेश से अधिक लोकप्रिय शायद ही कोई देवता होंगे, क्योंकि हर शुभ कार्य का शुभारंभ ''श्री गणेशाय नमः'' से होता है। भगवान गणेश ज्ञान और बुद्धि के देवता हैं। ये विघ्नहर्ता, परेशानियों को दूर करने वाले और सभी देवताओं में प्रथम पूज्य गणाधिपति ही हैं, जिन्हें किसी दूसरे का आदेश मानने की मजबूरी नहीं। शास्त्रों में भगवान गणेश के कई स्वरूपों का वर्णन किया गया है और मान्यता है कि इनके हर एक रूप में सुख और समृद्धि का वास होता है। ऐसे में गणेश चतुर्थी के अवसर आइए दर्शन करते हैं भगवान गणेश के 32 सबसे खास रूपों का...

1. श्री बाल गणपति - भगवान गणेश का यह स्वरूप बाल गणपति के रूप में है। भगवान के इस स्वरूप में उनकी छ: भुजाओं में अलग-अलग फल है और उनका शरीर लाल रंग का है। गणेश चतुर्थी पर बाल गणपति के इस इस रूप की पूजा होती है।

2. श्री तरुण गणपति - भगवान गणेश का यह स्वरूप उनके किशोर रूप को दर्शाता है। इनके इस रूप में आठ भुजाओं वाला रक्तवर्ण शरीर है। इनका यह स्वरूप युवावस्था में शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है।

3. श्री भक्त गणपति - गणपति के इस स्वरूप में गणेशजी की चार भुजाएं हैं। इनके इस रूप में इनका शरीर सफेद रंग का है।

4. श्री वीर गणपति- भगवान गणेश के इस स्वरूप में वह एक योद्धा की तरह हैं। इस स्वरूप में इनके कई हाथ हैं जिसमें वह तरह-तरह के अस्त्रों से शुभोभित हैं। भगवान गणेश के इस स्वरूप में उन्हें साहस और वीरता का प्रतीक माना जाता है।

5. श्री शक्ति गणपति - गणेश जी इस स्वरूप में चार भुजाओं के साथ उनका सिंदूरी रंग का शरीर है। इनका यह स्वरूप अभय मुद्रा में है।

6. श्री द्विज गणपति - इनके इस स्वरूप में चार भुजा है। यह दो गुणों का प्रतीक हैं पहला ज्ञान और दूसरा संपत्ति। सुख और संपदा की मनोकामना के लिए इनके इस रूप की पूजा की जाती है।

7. श्री सिद्धि गणपति - इनकी यह मुद्रा बुद्धि और सफलता का प्रतीक है। इसमे यह आराम की मुद्रा में हैं। गणेशजी के इस स्वरूप में इनका रंग पीला यानी पीतवर्ण का है। मुंबई के प्रसिद्ध सिद्धि विनायक मंदिर में इनका स्वरूप सिद्धि गणपति के स्वरूप में विराजमान है।

8. श्री विघ्न गणपति - भगवान गणेश के इस स्वरूप में वह दस भुजाधारी सुनहरी शरीर काया के रूप में हैं। इनका विघ्न स्वरूप तमाम तरह की बाधाओं को दूर करना वाला है। इनके हाथ में शंख और चक्र शुशोभित है।

9. श्री उच्चिष्ठ गणपति- भगवान गणेश के इस स्वरूप का मंदिर तमिलनाडु में स्थित है। इनके इस रूप में इनका रंग नीलवर्ण का है। यह मोक्ष और ऐश्वर्य प्रदान करने वाला स्वरूप है।

10. श्री हेरंब गणपति- गणेश जी के इस रूप में इनके पांच सिर है। यह हीन और असहायों के रक्षक का प्रतीक है। इसमें यह शेर की सवारी करते हैं।

11. श्री उद्ध गणपति - इसमें भगवान गणेश का स्वरूप सोने के रंग का है। यह छ: भुजाधारी है।

12. श्री क्षिप्र गणपति - भगवान गणेश का इस स्वरूप में भक्तों की इच्छाएं जल्द पूरी होती है। इनके चार हाथों में से एक में कल्पवृक्ष की शाखा है और सूंड में कलश है।

13. श्री लक्ष्मी गणपति - आठ भुजाधारी और गौर वर्ण शरीर के साथ इसमें गणेश जी बुद्धि और सिद्धि के साथ विराजमान हैं। इनके एक हाथ में तोता है।

14. श्री विजय गणपति - भगवान गणेश के इस स्वरूप का मंदिर पुणे के अष्टविनायक मंदिर में विराजमान है। भगवान गणेश यहां मूष की सवारी के साथ एक विशालकाय रूप में स्थापित हैं।

15. श्री महागणपति - गणपति के इस स्वरूप का मंदिर द्वारका में बना हुआ है। जहां पर भगवान कृष्ण ने गणेशजी की वंदना और आराधना की थी। यह रक्तवर्ण हैं जिसमें अपने पिता भोलेनाथ की तरह इनके तीन नेत्र हैं।

16. श्री नृत्त गणपति - गणेशजी के इस स्वरूप में वे कल्पवृक्ष के नीचे नाचते हुए की मुद्रा में हैं।

17. श्री एकाक्षर गणपति - भगवान गणेश के एकाक्षर स्वरूप का मंदिर कर्नाटक के हम्पी में स्थित है। इसमें भगवान गणेश के मस्तक पर चंद्रमा और तीन नेत्र हैं।

18. श्री हरिद्रा गणपति - छ: भुजाधारी पीले रंग का शरीर

19.श्री त्र्यैक्ष गणपति - सुनहरे शरीर वाले भगवान गणेश और तीन नेत्रों वाले चार भुजाधारी गणपति।

20. श्री वर गणपति - वर देने की मुद्रा में भगवान गणेश का स्वरूप सुख और समृद्धि प्रदान करने वाला है।

21. श्री त्र्यक्षर गणपति - भगवान गणेश के इस स्वरूप में तीन देव ब्रह्रा,विष्णु और महेश का समावेश है।

22. श्री क्षिप्र प्रसाद गणपति - इसमें भगवान गणेश सभी इच्छाओं और मनोकामनाओं को अतिशीघ्रता से पूरा करने वाला स्वरूप है।

23. श्री ऋण मोचन गणपति- चार भुजाधारी लालवस्त्र धारी भगवान गणेश

24. श्री एकदंत गणपति- गणपति के एकदंत स्वरूप में यह सभी बाधाओं की दूर करने वाले हैं। इसमें अन्य गणेशजी के स्वरूप के मुकाबले पेट काफी बड़ा है।

25. श्री सृष्टि गणपति - इस स्वरूप में गणेश जी एक बड़े मूषक पर सवार हैं। यह प्रकृति की शक्तियों को दर्शाते हैं।

26. श्री द्विमुख गणपति - पीले वर्ण के चार भुजाधारी और दो मुख वाले भगवान गणेश का स्वरूप।

27. श्री उद्दण्ड गणपति - इस स्वरूप में भगवान गणेश के 12 हाथ हैं और यह रूप न्याय का प्रतीक है।

28. श्री दुर्गा गणपति - इसमें यह लाल वस्त्र धारण किए हैं। इस रूप में भगवान गणेश अजेय की मुद्रा में विराजित हैं।

29. श्री त्रिमुख गणपति - भगवान गणेश के इस स्वरूप में तीन मुख और छह हाथ हैं।

30. श्री योग गणपति - भगवान गणेश इसमें योग की मुद्रा में विराजित हैं और नीले वस्त्र पहने हुए हैं।

31. श्री सिंह गणपति- इसमें भगवान गणेश सिंह के मुख और हाथी की सूंड वाले हैं।

32. श्री संकष्ट हरण गणपति - यह स्वरूप संकटों का दूर करने वाला है।

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