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हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ इसलिए इस दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है. माना जाता है कि इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ इसलिए इस दिन हनुमान जी की पूजा की जाती है. हनुमान भक्त अपनी स्थानीय मान्यताओं के आधार पर प्रति वर्ष भिन्न- भिन्न समय पर हनुमान जयंती मनाते हैं. उत्तर भारत के राज्यों में चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जयंती (Hanuman Jayanthi ) सबसे लोकप्रिय है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हनुमान जयंती 41 दिन तक मनाई जाती है. जो चैत्र पूर्णिमा को प्रारंभ होती है और कृष्ण पक्ष के दसवें दिन समापत हो जाती है.आंध्र प्रदेश में लोग चैत्र पूर्णिमा में 41 दीनों की दीक्षा आरंभ करते हैं और हनुमान जयंती के दिन इसका समापन करते हैं 'सावधान लंका, तुम्हें पहले भी जलाया जा चुका है', Wasim Jaffer ने हनुमान जी की तस्वीर शेयर कर किया मजेदार कमेंट
तमिलनाडु में हनुमथ जयन्ती मार्गशीर्ष अमावस्या के समय मनायी जाती है. अधिकांशतः मार्गशीर्ष अमावस्या और मूल नक्षत्र साथ में आते हैं. यह माना जाता है कि भगवान हनुमथ का जन्म मार्गशीर्ष अमावस्या पर, मूल नक्षत्र में हुआ था. उन वर्षों में जिनमें अमावस्या पर मूल नक्षत्र नहीं होता है, अमावस्या के दिन को ही हनुमथ जयन्ती के रूप में मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेण्डर में तमिल हनुमथ जयन्ती जनवरी अथवा दिसम्बर के माह में आती है हनुमान जी के ऐसे चित्र या मूर्ति के पूजन से पूरी होती है हर मनोकामना, बन जाते हैं रुके हुए काम...
हनुमथ जयन्थी का समय
हनुमथ जयन्थी रविवार, जनवरी 2, 2022 को
अमावसाई तिथि प्रारम्भ – जनवरी 02, 2022 को 03:41 ए एम बजे
अमावसाई तिथि समाप्त – जनवरी 03, 2022 को 12:02 ए एम बजे Lord Hanuman:
हनुमथ जयन्थी का महत्व
हनुमान जयंती पर, भक्त पूजा और अभिषेकम करते हैं. अभिषेक के लिए कच्चा दूध, चंदन और कई अन्य पवित्र वस्तुओं का भोग लगाया जाता है. और दिलचस्प बात यह है कि कई मंदिरों में पुजारी भगवान हनुमान की मूर्ति पर सफेद मक्खन की मोटी परत चढ़ाते हैं. और मेदु वडाई से जुड़ी हुई माला भी भगवान को अर्पित की जाती है क्योंकि वे उनका पसंदीदा भोजन हैं.
भक्त घर पर भी भगवान हनुमान की पूजा करते हैं. नैवेध्यम के लिए अक्सर मिठाई, फल और मेदु वड़ाई बनाई जाती है. उत्सव में श्लोकों, मंत्रों, हनुमान चालीसा और उन्हें समर्पित अन्य भजनों का पाठ भी शामिल है.
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