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धर्म-अध्यात्म
छत्तीसगढ़ के इस अनोखे मंदिर में हनुमान जी की नारी स्वरूप में होती है पूजा
Manish Sahu
22 Aug 2023 3:54 PM GMT
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धर्म अध्यात्म: बड़ा मंगल गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक है। बता दें कि 30 मई यानी की आज आखिरी बड़ा मंगल मनाया जा रहा है। भगवान हनुमान के जगह-जगह पंडाल लगाए गए हैं। ऐसे में कई लोग हनुमान जी के दर्शन के लिए मंदिर पहुंचते हैं। लेकिन आज इस आर्टिकल में हम आपको हनुमान जी के एक अनोखे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। इस मंदिर के बारे में शायद ही आपको जानकारी होगी। बता दें कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से 25 किमी दूर रतनपुर में हनुमान जी का अनोखा मंदिर स्थित है। जहां पर हनुमान जी की नारी स्वरूप में पूजा की जाती है। आइए जानते हैं भगवान हनुमान के नारी स्वरूप के बारे में...
यहां हैं मंदिर
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से दूर रतनपुर के गिरजाबंध में यह अनोखा मंदिर स्थित है। बता दें कि यह हनुमान जी का इकलौता ऐसा मंदिर हैं, जहां पर उनकी नारी स्वरूप में पूजा की जाती है। यहां के लोग बताते हैं कि दूर-दूर से भक्त इस मंदिर में अपनी मन्नतें लेकर आते हैं। वहीं भगवान भी अपने भक्तों की हर इच्छा को जरूर पूरा करते हैं।
जानिए क्या है कथा
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना उस समय के राजा पृथ्वी देवजू ने की थी। बताया जाता है कि एक बार राजा पृथ्वी को कुष्ठ रोग हो गया था। उसको सही करने के लिए राजा ने तमाम वैद्य-हकीमों की मदद ली। लेकिन उनका कुष्ठ रोग सही नहीं हुआ। जिसके बाद उनको एक ज्योतिष ने हनुमान जी की उपासना करने की सलाह दी। राजा ने ज्योतिष की बात मानकर हनुमान जी की कठिन उपासना शुरू कर दी। राजा की भक्ति देख हनुमान जी ने राजा को स्वप्न में दर्शन दिए।
मंदिर बनवाने का दिया स्वप्न
हनुमान जी ने राजा को स्वप्न में उनका मंदिर बनवाने और उसके पास में एक सरोवर खुदवाने के लिए कहा। कहते हैं कि हनुमान जी ने राजा से कहा कि यदि वह उस सरोवर में स्नान करेंगे। तो राजा के सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। जिसके बाद राजा ने उस स्वप्न का मान रखते हुए एक मंदिर का निर्माण करवाया और उसके पास एक सरोवर खुदवाया। इसी सरोवर में स्नान करने से राजा का कुष्ठ रोग ठीक हो गया था।
राजा को फिर आया सपना
इस घटना के बाद हनुमान जी ने राजा को फिर स्वप्न दिया। हनुमान जी ने सरोवर के पास अपनी दबी हुई प्रतिमा के बारे में बताया। हनुमान जी ने उस प्रतिमा को मंदिर में स्थापित करवाने के लिए कहा। जब राजा ने सरोवर के पास प्रतिमा की खोज करवाई तो देखा कि हनुमान जी की नारी स्वरुप में प्रतिमा दबी हुई थी। जिसे बाद में मंदिर में स्थापित करवाया गया।
अनोखी है मंदिर की मूर्ति
राजा पृथ्वी देवजू को सरोवर के पास मिली इस मूर्ति बेहद खास है। बता दें कि इस मूर्ति का मुंह दक्षिण की ओर है और मूर्ती में पाताल लोक का चित्र भी बना हुआ है। इसके अलावा हनुमान जी को रावण के पुत्र अहिरावण का संहार करते हुए दिखाया गया है। जहां हनुमान जी के एक पैर के नीचे अहिरावण तो वहीं दाएं पैर के नीचे कसाई दबा हुआ है। साथ ही उनके कंधो पर श्रीराम और लक्ष्मण जी की झलक भी देखने को मिलती है। हनुमान जी के एक हाथ में लड्डू की थाली और दूसरे हाथ में माला है।
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