धर्म-अध्यात्म

Hanuman Chalisa: मंगलवार को अपनाएं ये आसान उपाय,भगवान की होगी कृपा

Tara Tandi
27 Aug 2024 6:53 AM GMT
Hanuman Chalisa:  मंगलवार को अपनाएं ये आसान उपाय,भगवान की होगी कृपा
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Hanuman Chalisa ज्योतिष न्यूज़ : सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता है वही मंगलवार का दिन हनुमान पूजा के लिए उत्तम माना गया है इस दिन भक्त भगवान की पूजा अर्चना में लीन रहते हैं और उपवास आदि भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है लेकिन इसी के साथ ही अगर आज के दिन हनुमान पूजा के दौरान प्रभु की प्रिय चालीसा का पाठ श्रद्धा भाव से किया जाए तो किस्मत का भरपूर साथ मिलता है और परेशानियां दूर हो जाती हैं।
हनुमान चालीसा
दोहा
श्री गुरु चरण सरोज रज निजमन मुकुर सुधारि |
वरणौ रघुवर विमलयश जो दायक फलचारि ‖
बुद्धिहीन तनुजानिकै सुमिरौ पवन कुमार |
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार ‖
ध्यानम्
गोष्पदीकृत वाराशिं मशकीकृत राक्षसम् |
रामायण महामाला रत्नं वन्दे-(अ)निलात्मजम् ‖
यत्र यत्र रघुनाथ कीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम् |
भाष्पवारि परिपूर्ण लोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ‖
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर |
जय कपीश तिहु लोक उजागर ‖ 1 ‖
रामदूत अतुलित बलधामा |
अञ्जनि पुत्र पवनसुत नामा ‖ 2 ‖
महावीर विक्रम बजरङ्गी |
कुमति निवार सुमति के सङ्गी ‖3 ‖
कञ्चन वरण विराज सुवेशा |
कानन कुण्डल कुञ्चित केशा ‖ 4 ‖
हाथवज्र औ ध्वजा विराजै |
कान्थे मूञ्ज जनेवू साजै ‖ 5‖
शङ्कर सुवन केसरी नन्दन |
तेज प्रताप महाजग वन्दन ‖ 6 ‖
विद्यावान गुणी अति चातुर |
राम काज करिवे को आतुर ‖ 7 ‖
प्रभु चरित्र सुनिवे को रसिया |
रामलखन सीता मन बसिया ‖ 8‖
सूक्ष्म रूपधरि सियहि दिखावा |
विकट रूपधरि लङ्क जलावा ‖ 9 ‖
भीम रूपधरि असुर संहारे |
रामचन्द्र के काज संवारे ‖ 10 ‖
लाय सञ्जीवन लखन जियाये |
श्री रघुवीर हरषि उरलाये ‖ 11 ‖
रघुपति कीन्ही बहुत बडायी |
तुम मम प्रिय भरत सम भायी ‖ 12 ‖
सहस्र वदन तुम्हरो यशगावै |
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावै ‖ 13 ‖
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा |
नारद शारद सहित अहीशा ‖ 14 ‖
यम कुबेर दिगपाल जहां ते |
कवि कोविद कहि सके कहां ते ‖ 15 ‖
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा |
राम मिलाय राजपद दीन्हा ‖ 16 ‖
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना |
लङ्केश्वर भये सब जग जाना ‖ 17 ‖
युग सहस्र योजन पर भानू |
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ‖ 18 ‖
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही |
जलधि लाङ्घि गये अचरज नाही ‖ 19 ‖
दुर्गम काज जगत के जेते |
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ‖ 20 ‖
राम दुआरे तुम रखवारे |
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ‖ 21 ‖
सब सुख लहै तुम्हारी शरणा |
तुम रक्षक काहू को डर ना ‖ 22 ‖
आपन तेज सम्हारो आपै |
तीनों लोक हाङ्क ते काम्पै ‖ 23 ‖
भूत पिशाच निकट नहि आवै |
महवीर जब नाम सुनावै ‖ 24 ‖
नासै रोग हरै सब पीरा |
जपत निरन्तर हनुमत वीरा ‖ 25 ‖
सङ्कट से हनुमान छुडावै |
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ‖ 26 ‖
सब पर राम तपस्वी राजा |
तिनके काज सकल तुम साजा ‖ 27 ‖
और मनोरध जो कोयि लावै |
तासु अमित जीवन फल पावै ‖ 28 ‖
चारो युग प्रताप तुम्हारा |
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ‖ 29 ‖
साधु सन्त के तुम रखवारे |
असुर निकन्दन राम दुलारे ‖ 30 ‖
अष्ठसिद्धि नव निधि के दाता |
अस वर दीन्ह जानकी माता ‖ 31 ‖
राम रसायन तुम्हारे पासा |
सदा रहो रघुपति के दासा ‖ 32 ‖
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तुम्हरे भजन रामको पावै |
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ‖ 33 ‖
अन्त काल रघुपति पुरजायी |
जहां जन्म हरिभक्त कहायी ‖ 34 ‖
और देवता चित्त न धरयी |
हनुमत सेयि सर्व सुख करयी ‖ 35 ‖
सङ्कट क(ह)टै मिटै सब पीरा |
जो सुमिरै हनुमत बल वीरा ‖ 36 ‖
जै जै जै हनुमान गोसायी |
कृपा करहु गुरुदेव की नायी ‖ 37 ‖
जो शत वार पाठ कर कोयी |
छूटहि बन्दि महा सुख होयी ‖ 38 ‖
जो यह पडै हनुमान चालीसा |
होय सिद्धि साखी गौरीशा ‖ 39 ‖
तुलसीदास सदा हरि चेरा |
कीजै नाथ हृदय मह डेरा ‖ 40 ‖
दोहा
पवन तनय सङ्कट हरण – मङ्गळ मूरति रूप् |
राम लखन सीता सहित – हृदय बसहु सुरभूप् ‖
सियावर रामचन्द्रकी जय |
पवनसुत हनुमानकी जय |
बोलो भायी सब सन्तनकी जय |
इति हनुमान चालीसा पूर्ण ||
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