धर्म-अध्यात्म

Guru Pradosh Vrat 2024: मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष व्रत कल, जानें पूजा विधि

Bharti Sahu 2
27 Nov 2024 2:56 AM GMT
Guru Pradosh Vrat 2024:   मार्गशीर्ष मास का पहला प्रदोष व्रत कल, जानें पूजा विधि
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Guru Pradosh Vrat 2024: पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 28 नवंबर, दिन गुरुवार को सुबह 6 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी और 29 नवंबर, दिन शुक्रवार को सुबह 09 बजकर 43 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, प्रदोष व्रत 28 नवंबर, दिन गुरुवार को रखा जाएगा. इस दिन गुरुवार होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा गया है.
मार्गशीर्ष में प्रदोष व्रत के दिन इस दिन सौभाग्य योग बन रहा है, जो 28 नवंबर की शाम 4 बजकर 1 मिनट तक रहेगा. इस दौरान चित्रा नक्षत्र का संयोग का निर्माण भी होगा. इस संयोग में शिव परिवार की आराधना करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है और सभी दुख-दर्द दूर होते हैं.
प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त 28 नवंबर की शाम 6 बजकर 23 मिनट से लेकर रात 8 बजे तक है. अगर आप इस शुभ मुहूर्त में शिव पूजन करते हैं, तो व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होगाऔर हर कामना पूरी होगी.
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
पूजा स्थल को साफ करके शिवलिंग या भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें.
शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और बेलपत्र से अभिषेक करें.
घी का दीपक जलाकर भगवान शिव को अर्पित करें और उनकी आराधना करें.
भोलेनाथ की पूजा के समय “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते रहें.
भगवान शिव को फूल, फल और धूप-दीप अर्पित करें और प्रदोष व्रत की कथा सुनें.
अंत में भगवान शिव की आरती करें और घर के लोगों में प्रसाद विरतण करें.
प्रदोष व्रत में उपवास रखना एक महत्वपूर्ण नियम है. यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है और इसे रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं, लेकिन उपवास के दौरान क्या खाएं और क्या नहीं, यह जानना भी जरूरी है.
प्रदोष व्रत में क्या खाएं
फल: आप विभिन्न प्रकार के फल जैसे सेब, केला, संतरा, अंगूर आदि खा सकते हैं.
सब्जियां: उबली हुई या भाप में पकाई हुई सब्जियां जैसे कि शकरकंद, कद्दू, तोरी आदि खा सकते हैं.
सूखा फल: किशमिश, बादाम, काजू आदि सूखा फल भी खा सकते हैं.
दूध: आप दूध या दही का सेवन कर सकते हैं.
फलों का जूस: ताज़े फलों का जूस भी पी सकते हैं.
कुट्टू का आटा: कुट्टू के आटे से बना खिचड़ी या पकौड़े खा सकते हैं.
साबूदाना: साबूदाने की खीर या उपमा बनाकर खा सकते हैं.
प्रदोष व्रत में क्या नहीं खाएं
अन्न: चावल, गेहूं, ज्वार आदि अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए.
दालें: दालों का सेवन भी वर्जित है.
मांस, मछली, अंडे: मांसाहारी भोजन का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए.
प्याज, लहसुन: ये तमोगुणी होते हैं, इसलिए इनका सेवन नहीं करना चाहिए.
नमक: कुछ लोग नमक का सेवन भी वर्जित मानते हैं.
शराब, नशीले पदार्थ: शराब और नशीले पदार्थों का सेवन बिल्कुल वर्जित है.
प्रदोष व्रत के दिन क्या करें
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध होकर भगवान शिव की पूजा करें.
शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और बेलपत्र से अभिषेक करें.
“ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें.
शिव पुराण का पाठ करने से आध्यात्मिक लाभ मिलता है.
घी का दीपक जलाकर भगवान शिव को अर्पित करें.
पूरे दिन उपवास रखें या फिर फलाहार करें.
शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव के दर्शन करें.
अपनी क्षमता अनुसार दान करें.
पूरे दिन सकारात्मक विचार रखें.
प्रदोष व्रत के दिन क्या न करें
मांस, मछली और अंडे का सेवन न करें ये तामसिक भोजन हैं, इसलिए इनका सेवन वर्जित माना जाता है.
प्याज और लहसुन का सेवन न करें: ये भी तामसिक भोजन हैं, इसलिए इनका सेवन भी न करें.
शराब और नशीले पदार्थों का सेवन न करें. ये शिव जी को प्रिय नहीं हैं.
झूठ न बोलें और सत्य बोलना चाहिए.
किसी का अपमान न करें और सभी के साथ अच्छा व्यवहार करें.
भोलेनाथ क पूजा में केतकी के फूल और हल्दी का प्रयोग न करें.
टूटे हुए चावल का प्रयोग न करें और नारियल पानी से अभिषेक न करें.
प्रदोष व्रत का पारण का महत्व
प्रदोष व्रत का पारण प्रदोष काल की पूजा के बाद ही करें और तुलसी का पत्ता चबाकर और फल खाकर पारण किया जा सकता है. यदि संभव हो तो किसी ब्राह्मण को भोजन अवश्य करवाएं. पारण के साथ ही प्रदोष व्रत का समापन होता है. पारण के समय भगवान शिव की पूजा और अर्घ्य देने से उनकी कृपा प्राप्त होती है. पारण के बाद मनोकामनाएं पूरी होने की संभावना बढ़ जाती है. सही समय पर पारण करने से लोगों के आध्यात्मिक विकास में उन्नति होती है.
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