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धर्म-अध्यात्म
Guru Pradosh Vrat 2022: कब है गुरु प्रदोष व्रत , जानिए शुभ मुहूर्त
Ritisha Jaiswal
27 April 2022 4:03 PM GMT
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वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है
वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह दो बार प्रदोष व्रत रखा जाता है पहला कृष्ण पक्ष में पड़ता है और दूसरा शुक्ल पक्ष में किया जाता है। इस बार गुरुवार के दिन पड़ने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा अर्चना करने का विधान है। माना जाता है कि गुरु प्रदोष के दिन जो व्यक्ति निमित्त पूजा करके व्रत रखता है उसे हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही शत्रुओं के ऊपर विजय प्राप्त होती है। जानिए गुरु प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि।
गुरु प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 28 अप्रैल तड़के 12 बजकर 23 मिनट से शुरू
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 29 अप्रैल तड़के 12 बजकर 26 मिनट तक
उदया तिथि के अनुसार प्रदोष व्रत 28 अप्रैल को ही रखा जाएगा
पूजा का मुहूर्त- 28 अप्रैल शाम 06 बजकर 54 मिनट से रात 09 बजकर 04 मिनट तक
गुरु प्रदोष व्रत पूजा विधि
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों को निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद साफ-सुथरे और सूखे वस्त्र धारण कर लें। अब भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करके हुए व्रत का संकल्प लें। अब भगवान शिव की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर लें। इसके बाद आसन बिछाकर बैठ जाएं। अब भगवान को पुष्प के माध्यम से जल चढ़ाएं। इसके बाद सफेद पुष्प, माला, शमी, धतूरा, बेलपत्र, भांग, चीनी, शहद आदि चढ़ाएं। इसके बाद सफेद चंदन लगाकर अक्षत लगाएं। फिर भोग में पुआ, हलवा या फिर चने चढ़ाएं। अब घी का दीपक जलाकर शिव जी के मंत्र, शिव चालीसा, प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। अंत में आरती करके भगवान शिव के सामने भूल चूक के लिए माफी मांग लें। इसके बाद प्रसाद सभी को बांट दें और आप दिनभर फलाहारी व्रत रखें और दूसरे दिन सूर्योदय के साथ व्रत का पारण करें
Ritisha Jaiswal
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