धर्म-अध्यात्म

Guru Pradosh 2021: कल है गुरु प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि महत्व

Tulsi Rao
15 Dec 2021 5:34 PM GMT
Guru Pradosh 2021: कल है गुरु प्रदोष व्रत, जानें पूजा विधि महत्व
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हर माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है. मान्यता है कि भोलेशंकर को प्रदोष व्रत अत्यंत प्रिय है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Guru Pradosh Vrat 2021: हर माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी के दिन प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2021) रखा जाता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव (Lord Shiva) को समर्पित होता है. इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करने और व्रत आदि करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं. मान्यता है कि भोलेशंकर को प्रदोष व्रत अत्यंत प्रिय है. इस दिन पूजा और व्रत करने से भक्तों के सभी संकट से छुटकारा मिलता है. घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी इस बार 16 दिसंबर यानी कल है. इस दिन गुरुवार होने के कारण इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है.

गुरु प्रदोष के दिन भगवान शिव (Guru Pradosh Vrat 2021) का पूजन करने से गुरू दोष (Guru Dosh) से भी मुक्ति मिलती है. इस दिन भगवान शिव के साथ भगवान विष्णु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. इस दिन शिव जी को पूजन में बेलपत्र चढ़ाकर, जलाभिषेक किया जाता है. वहीं, इस दिन जल में गुड़ मिलाकर चढ़ाने से रोगों से मुक्ति मिलती है. बता दें कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल (Pradosh Kaal) में करने का विधान है. इस दिन पूजन के बाद भगवान शिव के इन मंत्रों (Lord Shiva Mantra Jaap) का जाप करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. आइए जानते हैं भगवान शिव के इन मंत्रों के बारे में.
भगवान शिव के प्रिय मंत्र (Bhagwan Shiva Mantra)
1. ऊँ नमः शिवाय।
2. नमो नीलकण्ठाय।
3. ऊँ पार्वतीपतये नमः।
4. ऊँ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
5. ऊँ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
6.भगवान शिव के प्रभावशाली मंत्र-
ओम साधो जातये नम:।।
ओम वाम देवाय नम:।।
ओम अघोराय नम:।।
ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।।
ऊँ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।
7.रुद्र गायत्री मंत्र
ऊँ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
8.महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ।।


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