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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | सिख संप्रदाय के पहले गुरु गुरु नानक देव की जयंती हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। इस वर्ष गुरु नानक जयंती 30 नवंबर दिन सोमवार को है। गुरु नानक जयंती को गुरु पर्व या प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है। गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में कार्तिक पूर्णिमा को श्री ननकाना साहिब (पाकिस्तान) में हुआ था। प्रकाश पर्व के अवसर पर गुरुद्वारों की भव्य सजावट होती है, अखंड पाठ होता है, लंगर लगते हैं। प्रकाश पर्व से पूर्व प्रभात फेरियां निकाल करके गुरु जी के आगमन पर्व का प्रारंभ होता है। श्री वाहेगुरु और बाणी का जाप होता है। भव्य नगर कीर्तन भी निकाले जाते हैं। इस दिन शबद कीर्तन किया जाता है। हालांकि इस बार कोरोना के कारण भव्य नगर कीर्तन आदि के कार्यक्रमों को लेकर दिशानिर्देश जारी किए जाए।
गुरु नानक जयंती कैसे मनाएं
30 नवंबर को कार्तिक पूर्णमा है। उससे दो दिन पूर्व यानी 48 घंटे पूर्व गुरुद्वारों में ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब का अखंड पाठ किया जाता है। उसके बाद चतुर्दशी यानी पूर्णिमा से एक दिन पूर्व नगर कीर्तन निकाला जाता है। एक सुंदर पालकी में गुरु ग्रंथ साहिब को रखा जाता है और भजन कीर्तन करते हुए नगर भ्रमण होता है।
फिर कार्तिक पूर्णिमा को प्रकाव पर्व के दिन अमृत बेला में सुबह 3 बजे गुरु नानक देव जी की जयंती का उत्सव आरंभ होता है। अमृत बेला सुबह 6 बजे तक होता है। इसमें ध्यान और प्रार्थना करते हैं। भजन, कथा और कीर्तन के बाद भंडारा लगता है। गुरु नानक देव जी ने समाज में फैले अंधविश्वास, घृणा, भेदभाव को दूर करने के लिए सिख संप्रदाय की नींव रखी। उन्होंने समाज में आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ाने के लिए लंगर परंपरा की शुरुआत की थी। इसमें सभी जाति और संप्रदाय के लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं।
गुरु नानक देव जी ने 'निर्गुण उपासना' पर जोर दिया और उसका ही प्रचार-प्रसार किया। वे मूर्ति पूजा नहीं करते थे और न ही मानते थे। ईश्वर एक है, वह सर्वशक्तिमान है, वही सत्य है। इसमें उनका पूरा विश्वास था।