धर्म-अध्यात्म

दून के इस पौराणिक मंदिर में गुरु द्रोण ने की थी शिव की पूजा

Manish Sahu
20 Aug 2023 12:56 PM GMT
दून के इस पौराणिक मंदिर में गुरु द्रोण ने की थी शिव की पूजा
x
धर्म अध्यात्म: देहरादून को द्रोण नगरी भी कहा जाता है क्योंकि गुरु द्रोणाचार्य यहां बहुत समय तक रहे. उन्होंने यहां रहकर तपस्या की. देहरादून के पृथ्वीनाथ मंदिर में भी उन्होंने शिव की पूजा की है. सदियों पुराने इस मंदिर में लोग सावन में दूर -दूर से पहुंच रहे हैं. पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्वयंभू 3 शिवलिंग मौजूद हैं. यह मंदिर देहरादून के सहारनपुर चौक पर है.
मंदिर में पूजा करने आई कांता बताती हैं कि वे पिछले 30 साल से यहां पूजन करने आती हैं. उन्होंने बताया कि जब भी वह परेशान होती हैं तो यहां बाबा भोलेनाथ की पूजा कर वह संकटों से मुक्ति पा लेती हैं. उन्होंने बताया कि उनके पति बीमार हैं और वह महादेव से उनके बेहतर स्वास्थ्य के लिए कामना करने आई हैं. उन्हें विश्वास है कि महादेव उनका संकट दूर करेंगे.
कई दशकों से रोजाना सुबह पृथ्वीनाथ मंदिर में आने वाले राकेश गुप्ता का कहना है कि यह मंदिर काफी पुराना है और यहां के तीनों शिवलिंग हैं स्वयं ही उत्पन्न हुए हैं. उनका कहना है कि देहरादून में यह इकलौता ऐसा मंदिर है जहां तीन स्वयंभू शिवलिंग हैं.
मंदिर के पुजारी आचार्य महावीर प्रसाद बहुगुणा के मुताबिक, यह देहरादून इतिहास की कई निशानियों का साक्षी है. उन्होंने बताया कि देहरादून टिहरी शासन के अंतर्गत आता था. उन्होंने गुरु राम राय दरबार साहिब को यह भेंट किया जिसके बाद उन्होंने यहां डेरा डाला और उसका नाम देहरादून पड़ गया.
बात करें पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर की तो यह महाभारत काल से भी पहले का मंदिर है. उन्होंने बताया कि यहां गुरु द्रोणाचार्य जब टपकेश्वर महादेव में तपस्या कर रहे थे तो पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर में भी भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए आते थे. उन्होंने बताया कि देहरादून में गुरु द्रोणाचार्य ने लंबे वक्त तक तपस्या की थी इसलिए इसे द्रोण नगरी भी कहा जाता है.
मंदिर के पुजारी के मुताबिक, पहले यहां महानिर्वाणी अखाड़ा के संत रहा करते थे. यहां एक तालाब और बड़ा सा पत्थर हुआ करता था. जब यहां खुदाई की गई तो महात्मा के स्वप्न में भगवान भोलेनाथ आए और उन्हें बताया कि यहां तीन स्वयंभू शिवलिंग मौजूद है. तभी से यहां बाबा भोलेनाथ के उपासक अपनी आस्था को लेकर चले आते हैं. बता दें कि यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं.
बताते चलें कि पृथ्वीनाथ मंदिर का उल्लेख महाभारत के केदारखंड भाग में है. मंदिर परिसर में करीब 200 साल पुराना एक बेल का पेड़ है, जिसमें सालभर फल आते हैं. इसके अलावा एक पुराना पीपल का वृक्ष भी इस मंदिर की शोभा बढ़ाता है. साल 2002-03 में यहां खुदाई हुई थी, जिसमें एक विशाल हवन कुंड और एक चिमटा मिला था, जिसे लोग महाभारत काल से जुड़ा मानते हैं.
Next Story