धर्म-अध्यात्म

देवी-देवताओं से भी होती है भूल, जानें किस गलती के कारण यमराज को पृथ्वी पर लेना पड़ा जन्म

Shiddhant Shriwas
14 July 2021 8:15 AM GMT
देवी-देवताओं से भी होती है भूल, जानें किस गलती के कारण यमराज को पृथ्वी पर लेना पड़ा जन्म
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मृत्यु के बाद यमराज मनुष्यों को उनके कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नर्क प्रदान करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पृथ्वी पर समय-समय पर देवी-देवतओं को मनुष्य के रूप में अवतार लेना पड़ा है. कहते हैं जब-जब धर्म की हानि होती है और अधर्म का बोलबाला रहता है, तब-तब ईश्वर अपने साकार रूप में पृथ्वी पर प्रकट होते हैं. बात करें भगवान विष्णु की तो अब तक उनके 23 अवतार हो चुके हैं जिनमें मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार. कृष्ण अवतार और बुद्ध अवतार शामिल हैं. इसके बाद भगवान विष्णु का चौबीसवां अवतार कलयुग में 'कल्कि अवतार' के रूप में होना बाकी है. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि यमराज ने भी पृथ्वी पर अवतार लिया था. यदि नहीं तो आज हम आपको बताएंगे कि मृत्यु के देवता यमराज ने आखिर किस मनुष्य के रूप में कब अवतार लिया.

श्राप के कारण पृथ्वी पर हुआ जन्म
मान्यता है कि यमदूत किसी भी मनुष्य की मृत्यु के बाद मनुष्यों को उनके कर्म के अनुसार फल देने के लिए मृत्यु के देवता यमराज के पास ले जाते हैं, लेकिन क्या आप कभी सोच सकते हैं स्वयं दण्डाधिकारी यमराज को अपनी गलती का फल भोगने के लिए पृथ्वी पर आना पड़ा हो. आश्चर्य किंतु सत्य, एक ऋषि के श्राप के कारण स्वयं यमराज को अपनी गलती का दंड भुगतने के लिए पृथ्वीलोक पर मनुष्य के रूप में जन्म लेना पड़ा.
यमराज के अवतार की कथा
कहते हैं कि महाभारतकाल में माण्डव नाम के एक ऋषि को एक बार एक राजा ने भूल से चोरी की सजा में फांसी पर लटकाने की सजा सुना दी. इसके बाद राजा के सैनिकों ने उन्हें ले जाकर सूली पर लटका दिया, लेकिन सूली पर कुछ दिन तक लटकने के बाद भी जब उनके प्राण नहीं निकले तो राजा को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने माण्डव ऋषि से अपनी गलती के लिए माफी मांगी और उन्हें आदर के साथ अपने महल से विदा किया.
इस महात्मा के रूप में लिया जन्म
राजा के महल से निकलने के बाद माण्डव ऋषि यमराज के पास पहुंचे और उनसे पूछा कि आखिर मैंने कौन सा अपराध किया था जो मुझे इसकी ये सजा मिली. तब यमराज ने उन्हें बताया कि आप जब 12 साल के थे तब आपने एक पतंगे की पूंछ में सींक चुभो दी थी. उसी के कारण आपको इतना कष्ट भोगना पड़ा. यमराज की बातों पर माण्डव को गुस्सा आ गया और उन्होंने कहा कि 12 साल के बच्चे को धर्म-अधर्म का ज्ञान नहीं होता है और तुमने मुझे एक छोटे से अपराध के लिए इतनी बड़ी सजा दे दी. माण्डव ऋषि ने यमराज को तुरंत श्राप देते हुए कहा कि तुम्हें शूद्र योनि में एक दासी के घर में जन्म लेना पड़ेगा. इसके बाद ऋषि के श्राप के कारण यमराज को महाभारतकाल में विदुर के रूप में जन्म ​लेना पड़ा.


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