धर्म-अध्यात्म

Gita Jayanti 2021 : 14 दिसंबर मनाई जाएगी गीता जयंती, जानिए महत्व

Rani Sahu
11 Dec 2021 6:56 AM GMT
Gita Jayanti 2021 : 14 दिसंबर मनाई जाएगी गीता जयंती, जानिए महत्व
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हिंदू धर्म में वैसे तो तमाम ग्रंथों और पुराणों का जिक्र है

हिंदू धर्म में वैसे तो तमाम ग्रंथों और पुराणों का जिक्र है, लेकिन उन सभी में से श्रीमद्भागवद् गीता ( Bhagavad Gita) एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है. इसका कारण है कि बाकी सभी ग्रंथों को मनुष्य द्वारा ही संकलित किया गया है, जबकि गीता के उपदेश साक्षात नारायण के अवतार श्रीकृष्ण भगवान के मुख से निकले हैं. इसलिए इसे महाग्रंथ का दर्जा दिया जाता है और हर साल मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी ​को गीता जयंती (Gita Jayanti) के रूप में मनाया जाता है.

माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण के मुख से गीता के उपदेश निकले थे. चूंकि गीता के उपदेश व्यक्ति को वास्तविकता का बोध कराने वाले हैं, उसे जन्म और मरण के बंधन से मुक्ति दिलाने वाले हैं, और जिस दिन इनका उद्भव हुआ, उस दिन मार्गशीर्ष माह एकादशी तिथि थी, इसलिए इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi) के नाम से जाना जाता है. इस बार गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर मंगलवार के दिन मनाई जाएगी. गीता जयंती के दिन श्रीमद्भागवद् गीता के अलावा भगवान श्रीकृष्ण और वेद व्यास की भी पूजा की जाती है.
ये है शुभ मुहूर्त
मार्गशीर्ष महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 13 दिसंबर की रात 09 बजकर 32 मिनट पर होगी और अगले दिन 14 दिसंबर को रात 11 बजकर 35 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के मुताबिक गीता जयंती को 14 दिसंबर को मनाया जाएगा.
ऐसे करें पूजन
गीता जयंती के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं और इसके बाद भगवान विष्णु के श्रीकृष्ण स्वरूप को प्रणाम करें. फिर गंगाजल का छिड़काव करके पूजा के स्थान को साफ करें. इसके बाद वहां चौक बनाकर और चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा और श्रीमद्भागवद् गीता रखें. इसके बाद भगवान कृष्ण और श्रीमद्भागवद् गीता को जल, अक्षत, पीले पुष्प, धूप-दीप नैवेद्य आदि अर्पित करें. इसके बाद गीता का पाठ जरूर करें. फिर आरती करें.
गीता का महत्व भी समझें
गीता का प्रादुर्भाव भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को मार्ग दिखाने के लिए हुआ था, ताकि रणभूमि में अपनों के बीच खड़े अर्जुन जीवन के सार को समझ सकें और सत्य को समझ सकें. गीता के उपदेशों के जरिए भगवान श्रीकृष्ण ने जीवन का संपूर्ण सार बताया है. गीता में धार्मिक, कार्मिक, सांस्कृतिक और व्यहवहारिक ज्ञान की बातें लिखी हैं जो आज भी सटीक साबित होती है. यदि गीता में लिखी बातों को समझ कर अमल में लाया जाए, तो व्यक्ति अपने जीवन की दिशा और दशा दोनों को बदल सकता है और मृत्यु के पश्चात मुक्ति प्राप्त कर सकता है.
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