धर्म-अध्यात्म

तुला राशि वाले शुक्रवार को ऐसे प्राप्त करें लक्ष्मी जी का आशीर्वाद

Tara Tandi
23 Sep 2021 9:04 AM GMT
तुला राशि वाले शुक्रवार को ऐसे प्राप्त करें लक्ष्मी जी का आशीर्वाद
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लक्ष्मी जी की विधि पूर्वक पूजा कर इस शुभ योग में वृद्धि की जा सकती है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| तुला राशि में वर्तमान समय में शुक्र के साथ बुध की युति बनी हुई है. बुध और शुक्र ग्रह, तुला राशि में विराजमान हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब बुध और शुक्र की युति बनती है तो इससे लक्ष्मी नारायण योग बनता है. लक्ष्मी नारायण योग को ज्योतिष शास्त्र में अत्यंत शुभ योग माना गया है. शुक्रवार के दिन लक्ष्मी जी की पूजा के लिए उत्तम माना गया है, इस दिन लक्ष्मी जी की विधि पूर्वक पूजा कर इस शुभ योग में वृद्धि की जा सकती है.

शुक्र का तुला राशि में परिवर्तन

तुला राशि में शुक्र का राशि परिवर्तन बीते 6 सितंबर 2021 को हुआ था. शुक्र का तुला राशि में आना भी शुभ माना गया है, क्योंकि तुला राशि के स्वामी शुक्र ही हैं. तुला राशि में आने पर शुक्र मालव्य योग बनाते हैं. इस योग को भी शुभ माना गया है.

बुध का तुला राशि में परिवर्तन

22 सितंबर 2021 को बुध का तुला राशि में प्रवेश हुआ था. बुध के इस राशि परिवर्तन से लक्ष्मी नारायण बना हुआ है. इस योग को भी शुभ योगों में स्थान प्राप्त है. लक्ष्मी नारायण योग बुध और शुक्र की युति से निर्मित होता है. यह योग व्यक्ति को लक्ष्मी जी की विशेष कृपा प्रदान करने वाला माना गया है. लक्ष्मी जी को शास्त्रों में धन की देवी के साथ साथ सुख-समृद्धि और वैभव की देवी भी माना गया है. शुक्रवार का दिन लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उत्तम माना गया है. 24 सितंबर 2021 को शुक्रवार का दिन है. इस दिन विधि पूर्वक पूजा करने से लाभ प्राप्त होता है.

लक्ष्मी जी की पूजा विधि

प्रात: काल स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए. लक्ष्मी पूजन के दौरान स्वच्छता के नियमों का विशेष पालन करना चाहिए. लक्ष्मी जी को स्वच्छता अधिक पसंद है. मान्यता है कि शुक्रवार के दिन सुबह और शाम दोनों समय पूजा करनी चाहिए. पूजा में लक्ष्मी जी की प्रिय चीजों को अवश्य शामिल करें. शाम के समय लक्ष्मी आरती के बाद घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाना चाहिए. इसके बाद प्रसाद वितरित करना चाहिए. यदि इस दिन व्रत रखते हैं तो व्रत को विधि पूर्वक पूर्ण करना चाहिए.

लक्ष्मी जी का मंत्र

ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:



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