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धर्म-अध्यात्म
Gemology: नवरत्न अंगूठी की जानें धारण करने की सही विधि और लाभ
Deepa Sahu
8 Feb 2022 3:42 PM GMT
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ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की दशा व्यक्ति पर बुरा प्रभाव डालती है.
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की दशा व्यक्ति पर बुरा प्रभाव डालती है. ऐसे में प्रभावों को कम करने के लिए रत्न शास्त्र में रत्नों के बारे में बताया गया है. इन रत्नों को धारण करने से व्यक्ति पर ग्रहों का प्रभाव कम हो जाता है. इसी तरह रत्न शास्त्र में नवरत्न अंगूठी (Navratan Ring) के बारे में बताया गया है. इसका रत्न शास्त्र में विशेष महत्व है. ऐसा मान्यता है कि इस अंगूठी को धारण करने से जीवन में नकारात्मकता नहीं रहती. इतना ही नहीं, इसे धारण करन से व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं नहीं रहती. साथ ही, सौभाग्य में वृद्धि होती है. इसी वजह से इस रत्न को बड़े-बड़े राजनेता और अभिनेता धारण किए रहते हैं. आइए जानते हैं नवरत्न अंगूठी (Navratan Ring) धारण करने की सही विधि.
नौ ग्रहों का प्रतिनिधित्व करती है ये रिंग
रत्न शास्त्र के अनुसार नवरत्न अंगूठी सभी नौ ग्रहों (Nav Grah) का प्रतिनिधित्व करती है. इस अंगूठी में लगे हुए सभी नवग्रहों के बुरे प्रभावों को कम करती है. इससे पहनने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है. बता दें कि कुंडली में ग्रह दशा के आधार पर ही शुभ रत्नों का चयन किया जाता है.
हर ग्रह के लिए होता है अलग रत्न
नवरत्न अंगूठी में नौ रत्न लगे होते हैं, जो कि अलग-अलग ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसमें सूर्य के लिए रूबी, मोती चंद्रमा के लिए, मंगल के लिए मूंगा, बुध के लिए पन्ना, गुरू के लिए पुखराज, शुक्र ग्रह के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए कैट्स आदि रत्न इसमें लगाए जाते हैं.
नवरत्न अंगूठी धारण करने की विधि
नवरत्न अंगूठी धारण करने के लिए इसकी विधि ज्ञात होना जरूरी है. इसे शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन धारण किया जाता है. मान्यता है कि इसे सूर्योदय के बाद एक घंटे के अंदर अंदर ही धारण करना चाहिए. इसे रविवार के दिन भी धारण किया जा सकता है.
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