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धर्म-अध्यात्म
Garuda Purana : किन लोगों को मृत्यु के समय झेलना पड़ता है कष्ट, जानिए मौत से जुड़ी रहस्यमयी बातें
Bhumika Sahu
1 Oct 2021 6:12 AM GMT
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गरुड़ पुराण को महापुराण यूं ही नहीं कहा जाता. ये एक ऐसा पुराण है जो लोगों को नीति संगत जीवन जीने की प्रेरणा देने के साथ, ये भी बताता है कि मरते समय व्यक्ति को कैसा महसूस होता है और मरने के बाद उसकी स्थिति कैसी होती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। संसार में जो आया है, उसे एक दिन जाना भी है यानी उसकी मृत्यु भी निश्चित है. लेकिन मरते समय किसके प्राण आसानी से निकलेंगे और किसको तमाम कष्ट भोगने होंगे, इसके बारे में कोई नहीं जानता. गरुड़ पुराण में कर्मों के आधार पर मृत्यु के बाद स्वर्ग और नर्क मिलने के जिक्र के अलावा ये भी बताया गया है कि मरते समय किन लोगों को कष्ट झेलना पड़ता है और किनको नहीं.
इसके अलावा भी मृत्यु के समय व्यक्ति को कैसा अनुभव होता है, इससे जुड़ी कई रहस्यमयी बातों के बारे में भी काफी कुछ कहा गया है. माना जाता है कि गरुड़ पुराण में लिखी गई हर बात स्वयं भगवान विष्णु ने अपने वाहन गरुड़ को बताई है. यहां जानिए मृत्यु से जुड़ी तमाम बातें.
कभी न करें बुरे कर्म
किसी भी शास्त्र का मकसद लोगों को सही राह दिखाना होता है. गरुड़ पुराण में भी लोगों को बुरे कर्म न करने की बात कही गई है. बुरे काम करने से व्यक्ति को तात्कालिक सुख तो मिल सकता है, लेकिन बाद में अपने कर्मों का नुकसान व्यक्ति को भोगना ही पड़ता है. बुरे कर्म करने वालों की मौत भी काफी कष्टकारी होती है. लेकिन अगर आप अच्छे कर्म करते हैं, तो इसे कष्टरहित बना सकते हैं.
झूठे वादे न करें
जो लोग झूठी कसमें खाते हैं, झूठे वादे करते हैं और झूठी गवाही देते हैं, उनकी मौत अचेतावस्था में होती है. जिनके काम खोटे होते हैं उन्हें मरते समय भयानक जीव दिखाई देते हैं, जिसके कारण उनकी मुंह से आवाज नहीं निकलती और वो कांपने लगते हैं. ऐसे लोगों को मरते समय बहुत कष्ट भोगना पड़ता है.
सोचने समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है
गरुड़ पुराण में मृत्यु के समय की तमाम स्थितियों के बारे में बताते हुए कहा गया है कि कुछ लोगों को मरने से पहले ही मौत का आभास हो जाता है. ऐसे लोगों के सोचने और समझने की शक्ति क्षीण हो जाती है. आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है और सूर्य का तेज प्रकाश भी नजर नहीं आता.
दर्पण में नहीं दिखती परछाईं
गरुड़ पुराण के मुताबिक मरणासन्न व्यक्ति के मुंह का स्वाद चला जाता है. उसे जल, दर्पण और तेल में खुद को देखने पर अपनी परछाईं नजर नहीं आती.
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