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धर्म-अध्यात्म
Garuda Purana Path: गरुड़ पुराण का पाठ किसी की मृत्यु के बाद क्यों करवाया जाता है?
Deepa Sahu
23 Sep 2021 4:02 PM GMT
![Garuda Purana Path: गरुड़ पुराण का पाठ किसी की मृत्यु के बाद क्यों करवाया जाता है? Garuda Purana Path: गरुड़ पुराण का पाठ किसी की मृत्यु के बाद क्यों करवाया जाता है?](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/09/23/1312706-garuda-purana-path-.webp)
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किसी जीवन ने अगर जन्म लिया है तो उसे एक न एक दिन छोड़कर वापस जाना तय है।
किसी जीवन ने अगर जन्म लिया है तो उसे एक न एक दिन छोड़कर वापस जाना तय है। इस संसार में हर चीज नश्वर हैं और हर चीज का अंत होना तय है। इसलिए कोई अपना कितना भी प्रिय क्यों न हो, एक न एक दिन उसे छोड़कर जाना ही पड़ता है। मगर उनके जाने के बाद कुछ परंपराएं ऐसी हैं, जिनको मृत्यु के पश्चात हर घर में निभाया ही जाता है। हिंदू धर्मानुसार, जब भी किसी घर के व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसकी मृत्यु के चौथे दिन से गरुड़ पुराण का पाठ रखा जाता है। आइए जानते हैं आखिर मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण का पाठ क्यों करवाया जाता है…
यमलोक के मार्ग का मिलता है वर्णन
गरुड़ पुराण का पाठ दरअसल मृतक की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। गरुड़ पुराण के पाठ के समय एक लकड़ी या कुश का आसन अलग से रख दिया जाता है। मृत्यु के बाद व्यक्ति की आत्मा 13 दिनों तक अपने परिजनों के यहां ही रहती है। जहां गरुण पुराण का पाठ चलता है, वहीं मृतक की आत्मा आती है और पाठ सुनती है। गरुड़ पुराण में यमलोक के मार्ग का वर्णन किया गया है। साथ ही मृत्यु से पहले और बाद की स्थिति के बारे में बताया जाता है, जो मृतक के सुनाया जाता है।
पाठ से नहीं होती आत्मा को कोई समस्या
मृतक को यह पाठ इसलिए सुनाया जाता है ताकि वह इस मार्ग के बारे में जान सके। जैसे कि आप कहीं पर जा रहे हों और आपको उसके मार्ग के बारे में जानकारी है तो जाने में कोई समस्या नहीं होती। इसलिए मृतक को गरुड़ पुराण का पाठ सुनाया जाता है, ताकि यममार्ग पर चलने में उनको कोई परेशानी न हो और उनको किन-किन बातों का सामना करना पड़ेगा। साथ ही गरुड़ पुराण के पाठ के माध्यम से जानकारी हो कि उनको किस कर्मों के फल से किस तरह के मार्ग ले जाया जाएगा और उनकी स्थिति क्या होगी। ताकि अगले जन्म में इन कर्मों से बचकर अगले जन्म में सद्गति प्राप्त कर सकें।
परिजनों के लिए भी लाभदायक होता है गरुड़ पुराण का पाठ
गरुड़ पुराण का पाठ न केवल पितरों को सुनाया जाता है बल्कि परिजनों को भी सुनाया जाता है क्योंकि उस समय परिवार का माहौल शोकाकुल होता है और इसके पाठ से उनको कष्ट सहने की शक्ति मिलती है। गरुड़ पुराण का पाठ व्यक्ति को हमेशा प्रेरणा देता है कि चाहें कुछ भी हो जाए जीवन में हमेशा अच्छे कर्म करना चाहिए। इस पाठ में धर्म, वैराग्य, दान, तप, नीति, ज्ञान, रहस्य, आत्मा, स्वर्ग-नरक और अन्य लोकों आदि का भी वर्णन मिलता है। गरुड़ पुराण के पाठ से मृतक के साथ उसके परिजन भी यह जान लेते हैं कि सही-गलत क्या है और सद्गति किस तरह के कर्मों से मिलती है। साथ ही उच्च लोक की यात्रा के लिए कौन से कर्म करने चाहिए।
गरुड़ पुराण में मिलता है यह जानकारी
शास्त्रों में गरुड़ पुराण के ज्ञान का रहस्य जानने के लिए मृत्यु के बाद का समय ही तय किया गया है। पाठ में बताया गया है कि मौत के बाद आत्मा भी अपने सुकर्मों और कुकर्मों को भोगती है। गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु के 24 अवतारों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि भगवान ने किन परिस्थितियों में ये अवतार लिए और संसार को क्या ज्ञान दिया। शास्त्रों के अनुसार, कोई आत्मा मृत्यु के पश्चात ही दूसरा जन्म धारण कर लेती है तो किसी को तीन दिन लगते हैं तो किसी को 10 या 13 दिन लगते हैं। वहीं किसी आत्मा को दूसरा जन्म लेने में सवा महीने का समय लग जाता है।
जीवन के रहस्यों के बारे में बताता है गरुड़ पुराण के पाठ
गरुड़ पुराण के पाठ में जीवन को लेकर कई गूढ़ बातें बताई गई हैं, जिनके बारे में हर व्यक्ति का जानना जरूरी होती है। भगवान विष्णु ने गरुड़ पुराण ने खुद बताया है कि व्यक्ति को कौन सी चीजें सद्गति की ओर ले जाती हैं। साथ ही कर्मों के आधार पर दंड स्वरूप मिलने वाले विभिन्न नरकों के बारे में भी उल्लेख किया गया है।
पाठ करने से आत्मा को मिलती है सद्गति
गरुड़ पुराण के पाठ सुनने मात्र से मृतक की आत्मा को शांति प्राप्ति होती है और उसको मुक्ति के मार्ग पर कैसे चलना है, इस बात की जानकारी भी मिल जाती है। आत्मा मोह-माया से मुक्त हो जाती है और संसार के सारे संताप को भूलकर प्रभु मार्ग पर चलकर पितर लोक में चली जाती है अर्थात मनुष्य योनी में जन्म के लिए चली जाती है, उसे प्रेत बनकर भटकना नहीं पड़ता। आत्मज्ञान का विवेचन ही गरुड़ पुराण के पाठ मुख्य उद्देश्य होता है।
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