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धर्म-अध्यात्म
Garuda Purana: जानिए मृत्यु के समय क्यों व्यक्ति चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाता
Renuka Sahu
19 Sep 2021 4:40 AM GMT
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फाइल फोटो
मौत से पहले मिलने वाले संकेतों, मौत के समय का अनुभव और मृत्यु के बाद आत्मा का सफर ये ऐसे विषय हैं, जिनके बारे में जानने की जिज्ञासा सभी में होती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मौत (Death) से पहले मिलने वाले संकेतों, मौत के समय का अनुभव और मृत्यु के बाद आत्मा का सफर ये ऐसे विषय हैं, जिनके बारे में जानने की जिज्ञासा सभी में होती है. गरुड़ पुराण में इनके बारे में विस्तार से बताया गया है. आमतौर पर देखा और सुना जाता है मरने से पहले व्यक्ति बोलने (Speak) में अक्षम हो जाता है. वह चाहकर भी बोल नहीं पाता है. इसके पीछे की वजह गरुड़ पुराण (Garuda Purana) में बताई गई है.
मरने से पहले अपनों से बढ़ जाता है मोह
कहते हैं मृत्यु (Death) जितना नजदीक आती है व्यक्ति का मोह अपने परिजनों से बढ़ता जाता है. इसी कारण अपनी मौत के समय वह आसपास मौजूद परिजनों से काफी कुछ कहना चाहता है लेकिन ज्यादातर मामलों में मरने वाले व्यक्ति की आवाज खो जाती है. वह चाहकर भी कुछ नहीं बोल पाता है. यदि वह बोले भी तो उसके शब्द लड़खड़ाने लगते हैं.
इसलिए खो जाती है आवाज
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि मरने वाले व्यक्ति के पास यमदूत (Yam Doot) आकर खड़े हो जाते हैं, उन्हें देखकर व्यक्ति इतना घबरा जाता है कि वो कुछ बोल नहीं पाता है. यमदूत जब उसके प्राण खींचते हैं तो व्यक्ति के मुंह से अजीब सी आवाज निकलती है लेकिन वह साफ शब्दों में कुछ कह नहीं पाता है. इसी समय व्यक्ति को अपने जीवन की सारी अहम घटनाएं भी एक रील की तरह नजर आने लगती हैं. उसे अपने अच्छे-बुरे कर्मों का अहसास होने लगता है. वह बुरे कर्मों के कारण नर्क में जाने से डरता है.
हालांकि जो लोग अपने परिवार के मोह में नहीं पड़ते हैं और समय के साथ ईश्वर की भक्ति में रम जाते हैं, उनकी मृत्यु शांति से होती है. इसके अलावा अच्छे कर्म करने वाले लोगों के प्राण भी आसानी से निकल जाते हैं, जबकि इसके उलट बुरे कर्म करने वाला व्यक्ति मरते समय बहुत कष्ट झेलता है.
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