धर्म-अध्यात्म

Garuda Purana : जानिए इंसान की मृत्यु के बाद कैसा होता हैं आत्मा का सफर

Bhumika Sahu
1 Sep 2021 5:43 AM GMT
Garuda Purana : जानिए इंसान की मृत्यु के बाद कैसा होता हैं आत्मा का सफर
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गरुड़ पुराण को हिंदू धर्म में महापुराण की संज्ञा दी गई है. इसमें व्यक्ति को जीवन को बेहतर बनाने वाली तमाम नीतियों के बारे में बताया गया है, साथ ही मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति का भी वर्णन किया गया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जो व्यक्ति इस संसार में आया है, उसे निश्चित तौर पर यहां से जाना भी होगा क्योंकि मृत्यु एक ऐसा शाश्वत सत्य है, जिससे मुंह नहीं फेरा जा सकता. हमारे जीवन काल में जो कुछ भी घटता है, वो सब तो हम लोग देखते भी हैं और महसूस भी करते हैं. लेकिन मृत्यु के बाद हमारी आत्मा के साथ क्या होता है, इसका पता किसी को नहीं होता. गरुड़ पुराण में जीवन की तमाम नीतियों के अलावा मृत्यु के बाद आत्मा की तमाम स्थितियों के बारे में भी बताया गया है. यहां जानिए कि मृत्यु के समय इंसान कैसा महसूस करता है और मरने के बाद इंसान की आत्मा का सफर कैसा होता है.

गरुड़ पुराण के मुताबिक मृत्यु से कुछ समय पहले व्यक्ति की की बोलचाल आमतौर पर बंद हो जाती है. उसकी सभी इंद्रियां शिथिल पड़ने लगती हैं और वो परमात्मा की दिव्य दृष्टि से सारे संसार को एक रूप में देखना शुरू कर देता है. इस दौरान उसके कर्म की भी एक रील सी उसकी आंखों के सामने से गुजरती है.
गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु के समय दो यमदूत आते हैं जो देखने में काफी भयानक होते हैं. यदि व्यक्ति पुण्य करने वाला होता है तो उस व्यक्ति के प्राण भी आसानी से निकल आते हैं, लेकिन पापी व्यक्ति को प्राण छोड़ते समय काफी कष्ट सहना पड़ता है. इसके बाद आत्मा को यमलोक ले जाया जाता है.
यमलोक जाने के बाद उस आत्मा को उसके कर्मों का लेखा जोखा दिखाया जाता है और उसे फिर आकाश मार्ग से 13 दिनों के लिए उसके घर पर छोड़ दिया जाता है. घर आने के बाद आत्मा अपने शरीर में प्रवेश का प्रयास करती है, लेकिन यमदूत के बंधन से उसका मुक्त हो पाना मुमकिन नहीं होता.
गरुड़ पुराण के अनुसार मृत व्यक्ति की संतान 10 दिनों तक उसके निमित्त जो पिंडदान करती है, उससे ही आत्मा को चलने की शक्ति मिलती है. 13 दिनों बाद यमदूत फिर से उसे यमलोक लेकर जाते हैं. इस सफर में 47 दिनों तक आत्मा को कठोर रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है. वैतरणी नदी पार करनी होती है. यमलोक पहुंचने के बाद चित्रगुप्त उसके समक्ष यमराज को उसके कर्मों का लेखा-जोखा बताते हैं. इसके बाद ही यमराज ये निर्धारित करते हैं कि आत्मा को स्वर्ग भेजा जाए या नर्क. यमराज द्वारा निर्धारित स्थान पर अपने कर्मों को भोगने के बाद वो आत्मा फिर से जन्म लेती है.


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