धर्म-अध्यात्म

Garuda Purana : जिनकी संतान न हो , तो पिंडदान और श्राद्ध के क्या नियम हैं

Bhumika Sahu
23 July 2021 5:59 AM GMT
Garuda Purana : जिनकी संतान न हो , तो पिंडदान और श्राद्ध के क्या नियम हैं
x
गरुड़ पुराण व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके परिजनों द्वारा किए जाने वाले तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान के बारे में भी काफी कुछ बताया गया है. आमतौर पर इसका अधिकार संतान को प्राप्त होता है, लेकिन जिसकी संतान न हो, उसके लिए क्या नियम हैं, जानिए इसके बारे में.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। शास्त्रों में किसी की मृत्यु के बाद उसकी श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के ​कुछ नियम बताए गए हैं. ये सभी काम करने के अधिकार मृतक की संतान को दिए गए हैं, मान्यता है कि ऐसा करने से मृतक की आत्मा को शांति मिलती है. लेकिन जिनकी कोई संतान ही नहीं है, ऐसे लोगों के​ लिए क्या नियम हैं. उनके पिंडदान और श्राद्ध करने का अधिकार किसे प्राप्त है, जानिए इसके बारे में क्या कहता है गरुड़ पुराण.

गरुड़ पुराण में संतान न होने पर श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि का अधिकार परिवार के अन्य सदस्यों को दिया गया है. किसी की मृत्यु के बाद यदि उसका पुत्र नहीं है तो पत्नी अपने पति के निमित्त श्राद्ध और पिंडदान कर सकती है. पत्नी के न होने पर सगे भाई को श्राद्ध करने का अधिकार दिया गया है. अगर सगे भाइयों में से किसी का पुत्र है तो वो भी श्राद्ध कर सकता है. उसके द्वारा किया गया श्राद्ध और पिंडदान अपने पुत्र के समान ही फलदायी माना जाता है. इसके अलावा परिवार में पुत्र न होने पर दामाद और नाती को भी श्राद्ध करने का अधिकार दिया गया है. इसके अलावा पत्नी का श्राद्ध को पति तभी कर सकता है, जब उसका कोई पुत्र न हो. यदि किसी संतान को गोद लिया है, तो उसको भी श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि का अधिकारी माना गया है.
तर्पण के नियम
पितरों के निमित्त तर्पण करने के कुछ नियमों का भी गरुड़ पुराण में उल्लेख किया गया है. पितृपक्ष में हर दिन स्नान करने के बाद दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करके और जल में काला तिल डालकर ही तर्पण करना चाहिए. इसके अलावा अंगूठे से ही पिंड पर जलांजलि समर्पित करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि अंगूठे से दी गई जलांजलि पितरों तक पहुंच जाती है.
बच्चों और संन्यासियों के लिए पिंडदान नहीं किया जाता. साधारण शब्दों में ऐसे समझें कि श्राद्ध केवल उन्हीं का होता है, जिनको अपनों के प्रति मोह और आसक्ति होती है. इसके अलावा श्राद्ध के दिन ब्राह्मण को भोजन हमेशा पत्ते या थाली में खिलाना चाहिए, कभी डिस्पोजल का इस्तेमाल न करें. ब्राह्मण को खाना खिलाने से पहले गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के नाम से भोजन निकालें.


Next Story