धर्म-अध्यात्म

Garuda Purana: मृत्यु के समय व्यक्ति चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाता, जानिए

Bhumika Sahu
18 Sep 2021 6:20 AM GMT
Garuda Purana: मृत्यु के समय व्यक्ति चाहकर भी कुछ बोल नहीं पाता, जानिए
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गरुड़ पुराण में मृत्यु के दौरान शरीर से प्राण कैसे निकलते हैं, इसके बारे में काफी विस्तार से बताया गया है. साथ ही मृत्यु के बाद की स्थितियों का भी वर्णन किया गया है. यहां जानिए इनके बारे में.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हम सभी जानते हैं कि जिंदगी का कोई भरोसा नहीं है. सभी को एक न एक दिन मृत्यु जरूर आनी है. फिर भी खुद को इस स्थिति के लिए तैयार नहीं कर पाते. मृत्यु के नाम से ही डर लगता है. जीवन में अपनों से चाहे कितनी ही शिकायतें हों, लेकिन उन्हें छोड़कर जाने का मन नहीं करता. जब मृत्यु निकट आती है तो अपनों से मोह और ज्यादा बढ़ जाता है.

ऐसे में व्यक्ति अपने प्राण नहीं त्यागना चा​हता. लेकिन जब उसे लगने लगता है कि अब उसका बच पाना मुश्किल है तो वो अपनों से बहुत कुछ कहना चाहता है. लेकिन चाहकर भी बोल नहीं पाता. उसकी जुबां बंद हो जाती है. ऐसा क्यों होता है, इसके बारे में गरुड़ पुराण में बताया गया है. आइए जानते हैं.
इसलिए बंद हो जाती है जुबां
गुरुड़ पुराण के मुताबिक जब मृत्यु की घड़ी निकट आती है तो यम के दो दूत मरने वाले के प्राणों के सामने आकर खड़े हो जाते हैं. उनको देखकर व्यक्ति बुरी तरह से घबरा जाता है. उसको अहसास हो जाता है कि अब वो नहीं बचेगा. ऐसे में वो अपनों से बहुत कुछ कहना चाहता है, लेकिन बोल नहीं पाता क्योंकि यमदूत यमपाश फेंककर शरीर से प्राण खींचने लगते हैं. ऐसे में उसके मुंह से घर घर की आवाज आती है और वो कुछ भी कह नहीं पाता.
आंखों के सामने से गुजरते हैं कर्म
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जिस समय यमदूत व्यक्ति के शरीर से प्राण खींचते हैं, उस समय व्यक्ति की आंखों के सामने से जीवन की सारी घटनाएं एक-एक करके तेजी गुजरती हैं. यही उसका कर्म बन जाती हैं, जिनके आधार पर यमराज उसके प्राणों के साथ न्याय करते हैं. इसीलिए कहा जाता है कि व्यक्ति को जीवन में अच्छे कर्म ही करने चाहिए ताकि मरते समय वो अपने साथ उन्हीं कर्मों को लेकर जाए.
मोह से मुक्त व्यक्ति को नहीं होता ज्यादा कष्ट
भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि व्यक्ति को अपने कर्म करने चाहिए और मोह में नहीं फंसना चाहिए. लेकिन धरती पर आने के बाद ज्यादातर लोग मोह और मायाजाल में फंस जाते हैं. यदि इस मोह बंधन से निकल जाए तो उसे प्राण त्यागते समय बहुत कष्ट नहीं होता. लेकिन जो लोग मरते समय भी मोह का त्याग नहीं कर पाते, उनके प्राण यमराज के दूत जबरन खींचकर ले जाते हैं और ऐसे व्यक्ति को प्राण त्यागते समय बहुत पीड़ा सहनी पड़ती है.


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