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देवताओं में प्रथम पूजनीय होते हैं गणपति बाप्पा। भगवान श्रीगणेश का पूजा में विशेष ख्याल रखा जाता हैं। विघ्न विनाशक एवं मंगलकारी गणेश सभी दुखों को दूर कर सुखप्रदान करने वाले होते हैं। श्रीगणेश का पूजन जीवन में रिद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ लेकर आता हैं। श्री गणेश की मदद से घर में उपस्थित सभी वास्तु दोषों का भी निवारण किया जा सकता हैं। आज हम आपको श्रीगणेश से जुड़े कुछ उपाय बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से घर के वास्तु दोष का नाश होगा। तो आइये जानते हैं इनके बारे में।
- घर में बैठे हुए और बायीं ओर मुड़ी सूंड वाले गणेश जी विराजित करना चाहिए। दाएं हाथ की ओर घुमी हुई सूंड वाले गणेशजी हठी होते हैं और उनकी साधना-आराधना कठिन होती है। वे देर से भक्तों पर प्रसन्न होते हैं।
- यदि घर के मुख्य द्वार पर एकदंत की प्रतिमा या चित्र लगाया गया हो तो उसके दूसरी तरफ ठीक उसी जगह पर दोनों गणेशजी की पीठ मिली रहे इस प्रकार से दूसरी प्रतिमा या चित्र लगाने से वास्तु दोषों का शमन होता है।
- यदि भवन में द्वारवेध हो यानि दरवाजे से जुड़ा किसी भी तरह का वास्तुदोष हो (भवन के द्वार के सामने वृक्ष, मंदिर, स्तंभ,सड़क आदि के होने पर द्वारवेध माना जाता है) ऐसे में घर के मुख्य द्वार पर गणेश जी की बैठी हुई प्रतिमा लगानी चाहिए लेकिन उसका आकार 11 अंगुल से अधिक नहीं होना चाहिए।
- स्वस्तिक को गणेश जी का रूप माना जाता है। वास्तु शास्त्र भी दोष निवारण के लिए स्वास्तिक को उपयोगी मानता है। स्वास्तिक वास्तु दोष दूर करने का महामंत्र है एवं यह ग्रह शान्ति में लाभदायक है। भवन के जिस भाग में वास्तु दोष हो उस स्थान पर घी मिश्रित सिंदूर से दीवार पर स्वास्तिक बनाने से वास्तु दोष का प्रभाव कम होता है।
- पूजा के लिए गणेश जी की एक ही प्रतिमा हो। गणेश प्रतिमा के पास अन्य कोई गणेश प्रतिमा नहीं रखें। एक साथ दो गणेश जी रखने पर रिद्धि और सिद्धि नाराज हो जाती हैं।
- गणेश को रोजाना दूर्वा दल अर्पित करने से लाभ की प्राप्ति होती है। दूर्वा चढ़ाकर समृद्धि की कामना से ऊं गं गणपतये नम: का पाठ लाभकारी माना जाता है।
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