धर्म-अध्यात्म

Ganga Saptami : मां गंगा ने अपने ही पुत्रों को क्यों मारा ? जानें पौराणिक कथा

Tara Tandi
12 May 2024 12:18 PM GMT
Ganga Saptami :  मां गंगा ने अपने ही पुत्रों को क्यों मारा ? जानें पौराणिक कथा
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ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी मनाई जाती है. इस वर्ष गंगा सप्तमी 14 मई को मनाई जाएगी. हिंदू धर्म में इसका बड़ा ही महत्व है. इस दिन दान-पुण्य और स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है. गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की पूजा-आराधना की जाती है. ऐसे में आज आपको इस लेख के जरिए बताएंगे कि मां गंगा ने अपने ही बेटों को पैदा होते ही नदी में क्यों डुबोकर उन्हें मार देती हैं.
मां गंगा ने अपने पुत्रों को नदी में क्यों बहाया?
पौराणिक कथा के अनुसार, राजा शांतनु ने माता गंगा से विवाह का प्रस्ताव रखा. मां गंगा ने राजा शांतनु से विवाह करने के लिए तैयार तो हो गईं लेकिन उन्होंने राजा शांतनु के सामने एक शर्त रख दी. उन्होंने शर्त रखी कि उनका कोई भी पुत्र सिंहासन का उत्तराधिकारी नहीं होगा. इसके साथ ही मां गंगा ने शांतनु से कहा कि आप मुझसे कभी भी कोई सवाल नहीं करेंगे और न ही किसी चीज को लेकर रोक टोक करेंगे. क्योंकि शांतनु, गंगा से शादी करना चाहते थे तो उन्होंने उनकी सारी शर्त मान ली और फिर उनका विवाह हो गया.
ऋषि वशिष्ठ के श्राप से ग्रस्त थे मां गंगा के पुत्र
विवाह के बाद गंगा ने सात पुत्रों को जन्म दिया. लेकिन, प्रत्येक पुत्र को जन्म देने के बाद, गंगा उन्हें नदी में बहा देती थीं. शांतनु इस बात को लेकर बहुत चिंतित थे और जानना चाहते थे कि आखिर वो ऐसा क्यों कर रही है. लेकिन वचनबद्ध होने की वजह से वह कोई सवाल नहीं पूछते. अपने सात पुत्रों को नदी में बहाने के बाद, जब गंगा ने अपने आंठवें पुत्र को नदी में बहाने का प्रयास किया, तब राजा शांतनु ने उन्हें रोक लिया और उन्होंने इसका कारण पूछा. तब गंगा जी ने राजा को बताया कि उनके पुत्र ऋषि वशिष्ठ के श्राप से ग्रस्त थे, इसलिए उन्हें मनुष्य जीवन से मुक्ति दिलाने के लिए नदी में बहाना पड़ा. उन्होंने आगे कहा कि जिस बच्चे को आपने बचा लिया है उसे अब धरती पर रहकर श्राप भोगना होगा. बता दें कि राजा शांतनु और मां गंगा के आठवां पुत्र भीष्म पितामह थे.
क्या था ऋषि वशिष्ठ का श्राप?
एक कथा के अनुसार, गंगा नदी के तट पर ऋषि वशिष्ठ तपस्या कर रहे थे. उनके तपस्या में विघ्न डालने के लिए, देवताओं ने गंगा को उनके पास भेजा. ऋषि वशिष्ठ क्रोधित हो गए और उन्होंने गंगा के सात पुत्रों को मनुष्य योनि में जन्म लेकर दुख भोगने का श्राप दे दिया. मां गंगा अपने पुत्रों को इस श्राप से मुक्ति दिलाना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने उन्हें नदी में बहा दिया ताकि वे मनुष्य जीवन से मुक्त हो सकें
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