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- गंगा सप्तमी आज, जानिए...
वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी मनाई जाती है। माना जाता है कि इस दिन गंगा मां धरती पर अवतरित हुई थी। इस साल वैशाख मास की सप्तमी तिथि 7 मई दोपहर से शुरू हो गई थी लेकिन 08 मई उदया तिथि पड़ी। जिसके कारण आज गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जा रहा है। ज्योतिषियों के मुताबिक, इस बार की गंगा सप्तमी काफी खास है। क्योंकि रवि पुष्य योग भी बन रहा है। आज के दिन विधि-विधान से गंगा मां की पूजा करने का महत्वपूर्ण माना जाता है। जानिए गंगा सप्तमी की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त
सप्तमी तिथि प्रारंभ- 7 मई दोपहर 02 बजकर 56 मिनट से शुरू
सप्तमी तिथि समाप्त- 08 मई, रविवार को शाम 05 बजे तक
पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 41 मिनट तक
गंगा सप्तमी पर बन रहा खास योग
इस साल गंगा सप्तमी पर रवि पुष्य योग बन रहा है। इसे योग को रवि पुष्य नक्षत्र योग के नाम से भी जाना जाता है। यह योग सुबह 5 बजकर 35 मिनट से दोपहर 2 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। इस योग में किसी भी मांगलिक कार्य को शुरू करना लाभकारी होता है। लेकिन विवाह को छोड़कर। इस योग में सोना-चांदी के आभूषण, प्रॉपर्टी, वाहन आदि खरीदना लाभकारी होगा। वहीं अगर कोई व्यक्ति नया व्यापार शुरू करने की सोच रहा है तो इस योग में शुरू करना श्रेष्ठ साबित होगा।
गंगा सप्तमी के दिन ऐसे करें गंगा मां की पूजा
गंगा सप्तमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर गंगा स्नान करें। अगर किसी कारणवश गंगा स्नान के लिए नहीं जा पाए है, तो घर में ही बाल्टी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर स्नान कर लें। इसके बाद मां गंगा की मूर्ति या फिर नदी में फूल, सिंदूर, अक्षत, गुलाल,लाल फूल, लाल चंदन अर्पित कर दें। इसके साथ ही भोग में गुड़ या फिर कोई मिठाई अर्पित कर दें। फिर धूप-दीप जलाकर श्री गंगा सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें, साथ ही गंगा मां के मंत्र- ॐ नमो भगवति हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा' का जाप कर लें। अंत में गंगा आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
गंगा सप्तमी का महत्व
गंगा सप्तमी के दिन स्नान-दान का काफी अधिक महत्व है। माना जाता है कि गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान करने से सभी पापों से मुक्ति मिलने के साथ रोगों से मुक्ति मिल जाती है। वहीं इस दिन दान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। आज के दिन ही मां गंगा भगवान शिव की जटाओं से होते हुए पृथ्वी पर अवतरित हुई थी।