धर्म-अध्यात्म

गंगा सप्‍तमी आज, नदी में स्नान करने से मिलेगा पुण्य

HARRY
28 April 2023 5:46 PM GMT
गंगा सप्‍तमी आज, नदी में स्नान करने से मिलेगा पुण्य
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आज वैशाख शुक्ल सप्‍तमी तिथि है। इसे गंगा सप्तमी के रूप में मनाने का विधान है। इस पर्व पर गंगा स्नान, व्रत-पूजा और दान का विशेष महत्व है। जो लोग किसी कारण से इस दिन गंगा नदी में स्नान नहीं कर सकते, वे घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहा सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से तीर्थ स्नान का ही पुण्य मिलता है। आज के दिन गंगा स्नान से व्यक्ति को हर तरह के रोग-दोष से मुक्ति मिल सकती है। वहीं इस दिन पानी से भरी मटकी का दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है।

शुभ मुहूर्त

वैशाख शुक्ल सप्तमी तिथि 26 अप्रैल, बुधवार को सुबह 11 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर 27 अप्रैल, गुरुवार को दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के हिसाब से गंगा सप्तमी 27 अप्रैल को मनाई जाएगी। आज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करना शुभ माना गया है। गंगा सप्तमी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 07 मिनट से दोपहर 01 बजकर 43 मिनट तक रहेगा।

इस तिथि पर दोबारा प्रकट हुई गंगा

पं. रामजीवन दुबे गुरुजी ने बताया कि महर्षि जह्नु जब तपस्या कर रहे थे, तब गंगा नदी के पानी की आवाज से बार-बार उनका ध्यान भटक रहा था। इसलिए उन्होंने गुस्से में आकर अपने तप के बल से गंगा को पी लिया था। लेकिन बाद में भगीरथ समेत देवताओं के प्रार्थना करने उन्‍होंने अपने दाएं कान से गंगा को पृथ्वी पर छोड़ दिया था। इसलिए ये गंगा के प्राकट्य का दिन भी माना जाता है। तभी से गंगा का नाम जाह्नवी पड़ा।

श्रीमद्भागवत में गंगा

श्रीमद्भागवत महापुराण मे गंगा की महिमा बताते हुए शुकदेव जी राजा परीक्षित से कहते हैं कि जब शरीर की राख गंगाजल में मिलने से राजा सगर के पुत्रों को मोक्ष मिल गया था तो गंगाजल की कुछ बूंद पीने और उसमें नहाने पर मिलने वाले पुण्य की कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गंगा स्नान, अन्न और कपड़ों का दान, जप-तप और उपवास किया जाए तो हर तरह के पाप दूर हो जाते हैं।

गंगा स्नान से दूर होते हैं दस तरह के पाप

वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि पर गंगा नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है और अनंत पुण्यफल मिलता है। इस दिन गंगा स्नान करने से 10 तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। स्मृतिग्रंथ में दस प्रकार के पाप बताए गए हैं। कायिक, वाचिक और मानसिक। इनके अनुसार किसी दूसरे की वस्तु लेना, शास्त्रों में बताई हिंसा करना, पराई स्त्री के पास जाना, ये तीन तरह के कायिक यानी शारीरिक पाप हैं। वाचिक पाप में कड़वा और झूठ बोलना, पीठ पीछे किसी की बुराई करना और फालतू बातें करना। इनके अलावा दूसरों की चीजों को अन्याय से लेने का विचार करना, किसी का बुरा करने की इच्छा मन में रखना और गलत कामों के लिए जिद करना, ये तीन तरह के मानसिक पाप होते हैं। मान्‍यता है कि आज के दिन पूर्ण श्रद्धाभाव से गंगा स्‍नान करने से इन पापों से मुक्‍ति मिल जाती है।

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