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धर्म-अध्यात्म
18 मई को है गंगा सप्तमी , जानें पूजा की विधि-विधान
Ritisha Jaiswal
17 May 2021 5:46 AM GMT
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गंगा नदी सारे पापों को धोने वाली है. इस नदी में लगाई गई एक डुबकी पुण्यों को बढ़ाती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | गंगा नदी सारे पापों को धोने वाली है. इस नदी में लगाई गई एक डुबकी पुण्यों को बढ़ाती है लेकिन कोरोना काल में घर से बाहर निकलना उचित नहीं है. लिहाजा वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाने वाली गंगा सप्तमी या गंगा जयंती को इस साल घर पर ही विधि-विधान से पूजा करके मनाएं. यह वो दिन है जब मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थीं, इसीलिए इसे गंगा सप्तमी के साथ-साथ गंगा जयंती भी कहते हैं. इस साल यह पावन पर्व 18 मई को मनाया जाएगा
गंगा सप्तमी की पूजन-विधि
- सबसे पहले घर में नहाने के पानी में गंगा जल मिलाएं और फिर मां गंगा का स्मरण करते हुए स्नान करें.
- इसके बाद घर के मंदिर में दीपक जलाएं और सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें. इस दौरान मां गंगा का ध्यान करें और पुष्प चढ़ाएं.
- घर के मंदिर में ही मां गंगा को सात्विक चीजों का भोग लगाएं और मां गंगा की आरती करें.
पूजन के बाद गंगा सप्तमी के दिन 'ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः' मंत्र का जप भी जरूर करें.' इससे पूजन का पूरा फल मिलता है.
होती है मोक्ष प्राप्ति
मां गंगा को मोक्षदायनी भी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की पूजा-अर्चना करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसके अलावा इस दिन तप, ध्यान करने के साथ-साथ दान भी करना चाहिए. लिहाजा जरूरतमंदों को इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान दें. कहते हैं कि यह सब काम करने से मां गंगा की कृपा से कुंडली में अशुभ ग्रहों का प्रभाव भी कम हो जाता है.
Tags#Ganga Saptami
Ritisha Jaiswal
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