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- गणेश उत्सव आरंभ, जानें...
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हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यह पर्व आज यानी 19 सितंबर दिन मंगलवार को देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा हैं मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी का पर्व पूरे दस दिनों तक चलता है और इसका समापन अनंत चतुर्दशी को हो जाता है।
गणेश चतुर्थी के पहले दिन भक्त भगवान श्री गणेश की प्रतिमा को अपने घर में स्थापित कर उनकी पूरे दस दिनों तक पूजा करते हैं और आखिरी दिन विसर्जन को समर्पित होता है। शास्त्र अनुसार गणेश उत्सव के दौरान भगवान अपने भक्तों से मिलने धरती पर आते हैं और उनके दुख दर्द का निवारण कर देते हैं, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा गणेश चतुर्थी पर गणपति प्रतिमा की स्थापना विधि के बारे में बता रहे हैं।
गणेश चतुर्थी मूर्ति स्थापना की विधि—
गणेश चतुर्थी के पावन दिन सबसे पहले स्नान आदि करें इसके बाद साफ पीले या लाल रंग के वस्त्रों को धारण कर व्रत का संकल्प करें। अब मूर्ति स्थापना वाली जगह पर सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करें। उत्तर पूर्व दिशा में पूजा की चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। चौकी पर थोड़े से चावल रखकर शुभ मुहूर्त में प्रभु की प्रतिमा को स्थापित करें। श्री गणेश के दहिने ओर कलश की स्थापना भी करें।
कलश में जल, आम के पत्ते, सिक्का, अक्षत डालें और उपर नारियल रखकर उस पर मौली बांध दें। अब रोली, मौली, हल्दी, सिंदूर, अक्षत, चंदन, अबीर, गुलाल, मेहंदी, लाल पुष्प, लौंग, इलायची, पान का पत्ता, नारियल अर्पित करें श्री गणेश के साथ कलश की भी पूजा करें। गणपति को जनेउ पहनाएं। 11 दूर्वा जोड़े में बनाकर अर्पित करें और लड्डू का भोग लगाएं। इसके बाद गणेश चतुर्थी की कथा सुनें। श्री गणेश की चालीसा का पाठ कर अंत में आरती करें। पुष्पांजलि कर सभी में प्रसाद बांटे। गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन भूलकर भी ना करें।
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