धर्म-अध्यात्म

Ganesh Stotra : बुधवार के दिन करें ये काम नहीं होगी पैसों की कमी

Tara Tandi
26 Jun 2024 11:18 AM GMT
Ganesh Stotra : बुधवार के दिन करें ये काम नहीं होगी पैसों की कमी
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Ganesh Stotra ज्योतिष न्यूज़ : सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित किया गया है वही बुधवार का दिन गौरी पुत्र गणेश की साधना आराधना को समर्पित होता है इस दिन भक्त भगवान श्री गणेश की विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर उपवास भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा बरसती है
लेकिन इसी के साथ ही अगर बुधवार के दिन स्नान आदि करके भगवान श्री गणेश के मंदिर जाकर प्रभु प्रतिमा के समक्ष घी का दीपक जलाएं साथ ही भगवान की विधिवत पूजा करके श्री गणेश स्तोत्र का पाठ 21 बार किया जाए अंत में धन प्राप्ति के लिए भगवान से प्रार्थना की जाए तो भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक समस्याओं से राहत मिल जाती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री गणेश स्तोत्र पाठ।
यहां पढ़ें गणेश स्तोत्र
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥
प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥
लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥
नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥
जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥
॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥
संतान गणपति स्तोत्र
नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।
सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।
गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।
गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।
विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।
नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।
एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।
प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।
शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।
भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।
ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:।
पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।
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