धर्म-अध्यात्म

शिव योग में पड़ रही है गणेश जयंती जानें गणेश जयंती का महत्व और पूजा विधि

Kajal Dubey
19 Jan 2022 10:36 AM GMT
शिव योग में पड़ रही है गणेश जयंती जानें गणेश जयंती का महत्व और पूजा विधि
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बुधवार के दिन खास तौर पर श्रीगणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है,

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म (Hindusim) में माघ के महीने (Magha Month) का विशेष महत्व है. पुराणों में माघ के महीने को मोक्ष का महीना माना गया है. ऐसा माना जाता है कि इस महीने में गंगा-यमुना आदि पवित्र नदियों में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है. माघ के दौरान भगवान गणेश को समर्पित दो बहुत महत्वपूर्ण उपवास रखे जाते हैं. एक सकट चौथ (Sakat Chauth 2022) है और दूसरा गणेश जयंती है, जो मुख्य रूप से भारत के उत्तरी राज्यों में मनाई जाती है. सकट चौथ का व्रत सभी दुखों और परेशानियों को दूर करने के लिए मनाया जाता है, जबकि गणेश जयंती (Ganesh Jayanti 2022) को भगवान गणेश के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार विघ्नहर्ता श्री गणेश (lord Ganesha) का जन्म माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था, जिसे अब गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन व्रत करने और भगवान गणेश की जन्म कथा को सुनने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

तिथियां और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 04 फरवरी शुक्रवार को सुबह 04:38 बजे से शुरू होकर शनिवार 05 फरवरी को सुबह 03:47 बजे समाप्त होती है. गणेश जयंती के दिन सुबह 11.30 बजे से दोपहर 01.41 बजे तक का समय गणपति बप्पा की पूजा के लिए अच्छा बताया गया है.
शिव योग में पड़ रही है गणेश जयंती
इस साल गणेश जयंती बहुत ही शुभ अवसर पर पड़ रही है. इस बार दो शुभ योग यानी रवि योग और शिव योग में गणेश जयंती मनाई जाएगी. 04 फरवरी को शाम 07:10 बजे तक शिव योग रहेगा. रवि योग सुबह 07:08 बजे शुरू होगा और दोपहर 03.58 बजे समाप्त होगा. इन शुभ योग में गणेश जयंती मनाई जाएगी.
गणेश जयंती का महत्व
हिंदू शास्त्रों के अनुसार माता पार्वती ने श्री गणेश की रचना उबटन से की थी. उनमें प्राण प्रतिष्ठा की थी. उस दिन माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी. जो कोई भी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करता है, उसे दिव्य सुख की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
गणेश जयंती का पूजा विधि
पूजा स्थल की सफाई करें. मंदिर या पूजा स्थल को फूलों और रोशनी से सजाएं. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान गणेश की मूर्ति रखें. गणेश जी को सिंदूर और दूर्वा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं. 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करें बाकी गरीबों या ब्राह्मणों को बांट दें. गणेश जी की कथा, चालीसा और आरती करें. इसके बाद भगवान का आशीर्वाद लें.


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