धर्म-अध्यात्म

Ganesh Chaturthi 2022: ज्येष्ठ माह में कब है संकष्टी चतुर्थी, जानें पूजा विधि और महत्व

Tulsi Rao
14 May 2022 9:49 AM GMT
Ganesh Chaturthi 2022: ज्येष्ठ माह में कब है संकष्टी चतुर्थी, जानें पूजा विधि और महत्व
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क।

Sankashti Chaturthi Puja Vidhi: हिंदू धर्म में गणेश पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य से पहले गणेश पूजन किया जाता है, ताकि उनके कार्य निर्विघ्न पूरे किए जा सके. हर माह चतुर्थी तिथि भी गणेश जी को समर्पित है. इस दिन विधि-विधान से गणेश जी की पूजा करने से भक्तों को गणपति की कृपा प्राप्त होती है और गणेश जी प्रसन्न होकर उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी या गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. वहीं, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस बार ज्येष्ठ माह की चतुर्थी 19 मई,गुरुवार के दिन पड़ेगी. बता दें कि इस दिन 2 बजकर 57 मिनट तक साध्य योग है. और उसके बाद शुभ योग होगा. ऐसे में संकष्टी चतुर्थी का व्रत विशेष फलदायी साबित होगा. आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी की तिथि और पूजन विधि के बारे में.
संकष्टी चतुर्थी का मतलब ?
संकष्टी चतुर्थी गणेश जी को समर्पित है. इसका मतलब है संकट हरने वाली चतुर्थी. ये संकष्टी शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है. इसका अर्थ होता है कठिन समय से मुक्ति पाना. धार्मिक मान्यता है कि चतुर्थी के दिन गणेश जी के पूजन से सारे संकट दूर हो जाते हैं.
संकष्टी चतुर्थी तिथि
कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि 18 मई को रात 11 बजकर 37 मिनट पर आरंभ होगीऔर चतुर्थी का समापन 19 मई, 08 बजकर 24 मिनट पर होगा.
संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजन शुभ काल
संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रती को व्रत का पारण चंद्र दर्शन के बाद ही करना चाहिए. इस दिन चंद्रोदय का समय रात 10 बजकर 48 मिनट पर है.
अभिजीत मुहूर्त: 19 मई को 11:56 AM – 12:49 PM
अमृत काल: 19 मई को 10:57 PM – 12:24 AM
ब्रह्म मुहूर्त: 19 मई को 04:12 AM – 05:00 AM
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
ज्योतिष अनुसार पूरे साल 13 चतुर्थी पड़ती हैं. और हर चतुर्थी का अपना अलग महत्व बताया गया है. हर चतुर्थी की व्रत कथा अलग होती है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए सुबह-सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लें और व्रत का संकल्प लें. इस दिन सच्चे मन से भगवान गणेश की अराधना करने, पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. शाम के समय चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत का समापन किया जाता है. इस दिन उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके भगवान गणेश की अराधना करें
इस दिन पूजन के दौरान भगवान गणेश को लड्डू, मोदक,फल और फूल अर्पित करें. धूप-दीप से आरती करें. साथ ही, गणेश भगवान को तिल के लड्डू का भोग लगाया जाता है. इस दिन केला और नारियल के प्रसाद दूसरों में बांटे.


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