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धर्म-अध्यात्म
Gadhiya Ghat Mata Temple: रहस्यमयी है मां भवानी का यह मंदिर, घी से नहीं पानी से जलती है ज्योत
Deepa Sahu
23 Feb 2021 3:31 AM GMT
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भारत में रहस्यमयी मंदिरों की लंबी लिस्ट है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क: भारत में रहस्यमयी मंदिरों की लंबी लिस्ट है। जिनके रहस्यों से आज तक पर्दा नहीं उठ पाया है। वैज्ञानिकों तक इन मंदिरों के आगे नतमस्तक हो गए। इसी कड़ी में एक और मंदिर है जिसका हम जिक्र कर रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में जलने वाली ज्योत घी से नहीं बल्कि पानी से जलती है। तो आइए जानते हैं कहां है यह मंदिर और क्या है इस ज्योत का रहस्य?
मध्यप्रदेश में इस नाम से स्थापित है देवी मंदिर
हम जिस मंदिर का जिक्र कर रहे हैं वह मंदिर मध्यप्रदेश में है। यह मंदिर काली सिंध नदी के किनारे आगर-मालवा के नलखेड़ा गांव से करीब 15 किमी दूर गाड़िया गांव के पास स्थित है। यह मंदिर गड़ियाघाट वाली माताजी के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पहले यहां हमेशा तेल का दीपक जला करता था, लेकिन करीब पांच साल पहले उन्हें माता ने सपने में दर्शन देकर पानी से दीपक जलाने के लिए कहा।
देवी ने दर्शन देकर कहा पानी की ज्योत जलाओ
इसके बाद पुजारी ने सुबह उठकर जब उन्होंने पास बह रही काली सिंध नदी से पानी भरा और उसे दीए में डाला। दीए में रखी रुई के पास जैसे ही जलती हुई माचिस ले जाई गई, वैसे ही ज्योत जलने लगी। यह देखकर पुजारी खुद भी घबरा गए और करीब दो महीने तक उन्होंने इस बारे में किसी को कुछ नहीं बताया। बाद में उन्होंने इस बारे में कुछ ग्रामीणों को बताया तो उन्होंने भी पहले यकीन नहीं किया, लेकिन जब उन्होंने भी दीए में पानी डालकर ज्योति जलाई तो ज्योति जल उठी।
और शुरू हुई पानी से दीपक जलाने की प्रथा
कहा जाता है कि उसके बाद इस चमत्कार की चर्चा पूरे गांव में फैल गई। तब से ही आज तक इस मंदिर में काली सिंध नदी के पानी से ही दीपक जलाया जाता है। कहते हैं कि जब दीपक में पानी डाला जाता है, तो वह चिपचिपे तरल पदार्थ में बदल जाता है और दीपक जल उठता है।
बारिश में नहीं जलती है यह अनोखी ज्योत
स्थानीय निवासियों के अनुसार पानी से जलने वाली यह ज्योत बारिश के मौसम में नहीं जलता है। क्योंकि बरसात के मौसम में काली सिंध नदी का वाटर लेवल बढ़ने से यह मंदिर पानी में डूब जाता है, जिससे यहां पूजा करना संभव नहीं होता। हालांकि शारदीय नवरात्रि के पहले दिन यानी घटस्थापना के साथ ज्योत दोबारा जला दी जाती है, जो अगले साल बारिश के मौसम तक लगातार जलती रहती है।
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