धर्म-अध्यात्म

चौथी उंगली में अंगूठी पहनाने से लेकर मेहंदी तक, जानें भारतीय शादी से जुड़ी इन रस्मों का महत्व

SANTOSI TANDI
25 Aug 2023 1:28 PM GMT
चौथी उंगली में अंगूठी पहनाने से लेकर मेहंदी तक, जानें भारतीय शादी से जुड़ी इन रस्मों का महत्व
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शादी से जुड़ी इन रस्मों का महत्व
शादी एक पवित्र बंधन है। यह रिश्ता जोड़े के जीवन में नई खुशियां, प्यार, समर्पण और प्रतिबद्धता लाता है। भारतीय शादियों की बात ही अलग होती हैं। शादी में निभाई जाने वाली रस्म बेहद अनूठी होती है। शादी दो जोड़ों के साथ-साथ परिवार का भी मिलन होता है। इसलिए शादी के दौरान सभी कार्यों को धार्मिक तरीकों से पूरा किया जाता है। आज इस आर्टिकल में हम आपको भारतीय शादी से जुड़ी अहम रस्मों का महत्व बताएंगे।
सगाई की रस्म
engagement ceremony significanceशादी से पहले सगाई की रस्म निभाई जाती है। इस रस्म में दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे को अंगूठी पहनाते हैं। इस रस्म के लिए भी तारीख और सही मुहूर्त देखा जाता है। चलिए जानते हैं इस रस्म का महत्व।
यह बात कम ही लोग जानते हैं कि सगाई में अंगूठी पहनाने की रस्म भारतीय नहीं है। एंथ्रोपोलॉजिस्ट के अनुसार यह रस्म रोमन के लोग निभाते थे, लेकिन धीरे-धीरे यह रस्म दुनिया भर में मशहूर हो गई और आज ज्यादातर लोग यह रस्म निभाते हैं।
क्या आपने इस बात पर गौर किया है कि अंगूठी केवल अनामिका उंगली में ही क्यों पहनाई जाती है? इसका कारण वैज्ञानिक है। दरअसरल अनामिक उंगली की एक नस दिल से जुड़ी होती है और यह बात तो हम सभी जानते हैं कि शादी का रिश्ता प्यार के बगैर नहीं पूरा हो सकता है।
सगाई की अंगूठी गोल होती है। इसका कारण यह है कि गोल आकार का आरंभ और अंत नहीं होता है। ऐसे में वैवाहिक जीवन भी अनंत रहे, इसके लिए सगाई के दौरान गोल आकार की ही अंगूठी पहनाई जाती है।
हल्दी रस्म
haldi ceremony significanceशादी से पहले हल्दी की रस्म निभाई जाती है। हल्दी को शुद्ध माना जाता है। हल्दी के उपयोग से त्वचा की रंगत निखरती है। हल्दी बैक्टीरिया से भी लड़ने में मदद करता है। हल्दी में तेल मिलाकर दूल्हा-दुल्हन को लगाया जाता है। इससे त्वचा मॉइश्चराइज भी होती है।
हल्दी के रंग को दूल्हा-दुल्हन के उज्जवल भविष्य से जोड़कर देखा जाता है। हल्दी लगाते वक्त दूल्हा-दुल्हन को आशीर्वाद दिया जाता है। (जानें मां क्यों नहीं देखती अपने बेटे के फेरे)
मेहंदी रस्म (ड़कर देखा जाता है। साथ ही, माना जाता है कि मेहंदी का रंग जितना गहरा होता है, पति-पत्नी के बीच प्यार ज्यादा होता है। मेहंदी सोलह श्रृंगार का भी हिस्सा है। मेहंदी पत्तों से बनाई जाती है। इसलिए इसे शुभ भी माना जाता है। (जूते चुराई की रस्म का महत्व)
फेरे की रस्म
बिना अग्नि को साक्षी मानें शादी पूरी नहीं मानी जाती है। दूल्हा-दुल्हन 7 फेरे लेते हैं। हिंदू धर्म में 7 नंबर को शुभ माना जाता है, क्योंकि 7 दिन, 7 जन्म और 7 ग्रह होते हैं। इसलिए शादी को 7 जन्मों का रिश्ता कहा जाता है।
कन्यादान
हिंदू धर्म में कन्यादान को महादान माना जाता है। मनु स्मृतियों के शुरुआत के बाद 8 शादी के बारे में बताया गया था। इन शादियों में सबसे ऊपर ब्रह्म विवाह माना गया था।
ब्रह्म विवाह में लड़की का पिता अपने बेटी के लिए दूल्हा चुनता था, जिसे वह पैसे या सोना देकर, अपनी बेटी को उस पुरुष को सौंप देता था। यही से शुरूआत हुई थी कन्यादान की। सबसे पहले दक्ष प्रजापति ने कन्यादान किया था। उन्होंने चंद्रमा को अपनी 27 कन्याएं सौंपी थी।
कन्यादान को महादान इसलिए कहा जाता है क्योंकि वर और वधु को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का रूप कहा जाता है। ऐसे में जब पिता अपनी लक्ष्मी को सौंपता है, तो इसे महादान माना जाता है।
विदाई
विदाई की रस्म निभाई जाती है। यह रस्म बेहद भावनात्मक होती है। इस रस्म में पिता अपनी बेटी को आशीर्वाद देकर नए जीवन के लिए प्रोत्साहित करता है। डोली में बैठने से पहले लड़की चावल फेंकने की रस्म निभाती है। दुल्हन के पास सहेली या बहन हाथ में चावल की थाली लेकर खड़ी होती है। दुल्हन को पांच बार बिना पीछे देखकर चावल फेंकने होते हैं।
जब दुल्हन चावल फेंकती है, तब दुल्हन के पीछे कुछ महिलाएं पल्लू को फैलाकर चावल को समटेती हैं। अब आपके दिमाग में सवाल आ रहा होगा कि केवल चावल का ही क्यों उपयोग किया जाता है? दरअसल बता दें कि चावल धन का प्रतीक है। साथ ही, चावल को पवित्र माना जाता है। इसलिए चावल का इस्तेमाल धार्मिक कामों में किया जाता है।
इन रस्मों के अलावा, जूते चुराई, तिलक, भात, फग फेरे जैसी कई रस्में निभाई जाती हैं। शादी से जुड़ी रस्में राज्य और जाति अनुसार अलग-अलग होती हैं।
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