धर्म-अध्यात्म

आज से कार्तिक मास, बरसेगी भगवान विष्णु की कृपा, जानें स्नान का महत्व

Shiddhant Shriwas
21 Oct 2021 2:23 AM GMT
आज से कार्तिक मास, बरसेगी भगवान विष्णु की कृपा, जानें स्नान का महत्व
x
भगवान विष्‍णु को समर्पित कार्तिक का पवित्र महीना आज से शुरू हो गया है।

भगवान विष्‍णु को समर्पित कार्तिक का पवित्र महीना आज से शुरू हो गया है। इस माह श्रीहरि और उनको सबसे प्रिय तुलसी की पूजा करना काफी अच्छा माना जाता है। एक माह तक भगवान विष्णु का पूजन-अर्चन और तुलसी के निमित्त दीपदान बेहद फलदायी रहेगा। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पंडित दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार कार्तिक मास भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का अच्छा समय होता है। मां लक्ष्मी और नारायण की पूजा करने वाले जातकों की धन की वृद्धि होती है।

कलियुग में कार्तिक मास धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को देने वाला है। ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्रा ने बतांया कि कार्तिक मास को भगवान विष्णु और विष्णुतीर्थ के समान ही श्रेष्ठ और दुर्लभ कहा गया है। इसी महीने भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं और सृष्टि में आनंद और कृपा की वर्षा होती है।
कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले स्नान से मिलता है पुण्य
इस मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं। जल के तीन कर्मकांडों में स्नान महत्वपूर्ण कर्मकांड है। पुलस्त्य ऋषि ने कहा भी है कि स्नान के बिना न तो शरीर निर्मल होता है और न ही बुद्धि। इस माह में सूर्योदय से पूर्व ही पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान करना चाहिए। स्नान के लिए तीर्थराज प्रयाग, अयोध्या, कुरुक्षेत्र और काशी को श्रेष्ठ माना गया है। इनके साथ ही सभी पवित्र नदियों और तीर्थस्थलों पर भी स्नान शुभ रहता है। अगर आप इन स्थानों पर नहीं जा सकते, तो इनका स्मरण करने से भी लाभ होता है।
तुलसी पूजन का विशेष महत्व
कार्तिक मास में तुलसी पूजा विशेष फलकारी मानी जाती है। कहते हैं कि तुलसी पूजन से यमदूतों के भय से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि कार्तिक मास में एक माह तक लगातार दीपदान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शालीग्राम के रूप में भगवान विष्णु और तुलसी का विवाह भी इसी महीने कराया जाता है।
ऐसी मान्यता है कि जिस घर में तुलसी जी होती हैं ऐसे घर में यमदूत प्रवेश नहीं करते। तुलसी जी का विवाह शालिग्राम से हुआ था, इसलिए कहा जाता है कि जो तुलसी जी की भक्ति करता है, उसको भगवान की कृपा मिलती है। एक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने तुलसी जी को वरदान दिया था कि मुझे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जाएगा और जो व्यक्ति बिना तुलसी जी मेरी पूजा करेगा, उसका भोग मैं स्वीकार नहीं करुंगा।


Next Story